दो मंत्रालय और दो तरह के आकलन, क्षेत्र मगर एक, खेती-किसानी का ! आकड़ों के विरोधाभास की ऐसी हालत में कोई वास्तविक स्थिति का किस तरह अनुमान लगाये ? अगर ऊपर लिखी बात आपको किसी पहेली की तरह लग रही हो तो इस तथ्य पर गौर कीजिए-केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय के नये आंकड़े में अनुमान लगाया गया है कि कृषि-क्षेत्र में सकल मूल्य वर्धन(जीवीए) पिछले साल के मुकाबले कम होगा. लेकिन, कृषि...
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अर्थव्यवस्था सुधारने का मौका-- हिमांशु
आगामी 1 फरवरी को पेश होने वाला बजट मौजूदा सरकार का आखिरी पूर्ण बजट होगा। ऐसा इसलिए, क्योंकि 2019 का बजट लेखानुदान होगा। हालांकि मोदी सरकार का यह आखिरी पूर्ण बजट होगा या नहीं, यह इस बात पर निर्भर करेगा कि 2019 में चुनावी नतीजा किस करवट बैठता है? इसका मतलब यह है कि आगामी बजट महज इसलिए महत्वपूर्ण नहीं है कि इससे अर्थव्यवस्था को कौन-सी दिशा मिलती है, बल्कि...
More »गंभीर होते खेती व रोजगार के सवाल - प्रदीप सिंह
लोकसभा चुनाव अभी सवा साल दूर हैं। इसे यों भी कह सकते हैं कि लोकसभा चुनाव में बस 16 महीने रह गए हैं। सभी राजनीतिक दलों ने चुनाव की तैयारी अभी से शुरू कर दी है। 2014 के लोकसभा चुनाव और 2019 के चुनाव में एक बड़ा फर्क होगा। तब कांग्रेस सत्ता में थी और उससे सवाल पूछे जा रहे थे। आज भाजपा सत्ता में है और उससे जवाब मांगा...
More »रोजाना 19 करोड़ भूखे सोने वाले देश में हर दिन 244 करोड़ रुपये का खाना होता है बर्बाद
नयी दिल्ली : जर्मनी के एक होटल में सीख लेने के बाद देश के प्रमुख उद्योगपतियों में शुमार रतन नवल टाटा ने भले ही यहां के लोगों को खाना न बर्बाद करने की नसीहत दी हो, लेकिन आज भी इस देश में हर साल करीब 244 करोड़ रुपये की लागत के बराबर खाना बर्बाद हो रहा है. चौंकाने वाली बात यह भी है कि इसी देश में रोजाना करीब 19...
More »अर्थव्यवस्था की गतिकी-- संदीप मानुधने
केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय (सीएसओ) के वर्षभर के पहले अग्रिम आकलन के मुताबिक सकल घरेलू उत्पादन (जीडीपी) की वार्षिक वृद्धि दर का आंकड़ा अनुमान से काफी कम आया है. सीएसओ का कहना है कि मौजूदा वित्त वर्ष में जीडीपी 6.5 फीसदी के दर से बढ़ेगी, जबकि रिजर्व बैंक का आकलन 6.7 फीसदी का था. यह अन्य अनुमानों से भी कम ही है. अपने-आप में जीडीपी की वृद्धि दर शायद बहुत अधिक...
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