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किसान आंदोलन: क्या भारत के किसान ग़रीब हो रहे हैं?

-बीबीसी, किसानों के लगातार जारी आंदोलन के बीच भारत सरकार इस बात पर ज़ोर दे रही हैं कि बदलाव किसानों की ज़िंदगी को बेहतर बनाएंगे. साल 2016 में प्रधानमंत्री और उनकी पार्टी बीजेपी ने वादा किया था कि 2022 तक वो किसानों की आय को दोगुनी कर देंगे. लेकिन क्या इस बात का कोई सबूत है कि गांव में रहने वालों कि ज़िंदगी में सकारात्मक बदलाव आए हैं? ग्रामीण इलाकों में आय की हालत? वर्ल्ड...

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संकट में है भूजल और नदी का रिश्ता

-वाटर पॉर्टल, पिछले कुछ बरसों से, नदियों और भूजल का पुराना अन्तरंग कुदरती रिश्ता बुरी तरह बिगड़ा हुआ है। अनदेखी के कारण इन दिनों वह कुछ अधिक ही बदहाल है। यह रिश्ता सुधरने के स्थान पर साल-दर-साल और अधिक बिगड़ रहा है। उसका संकट बढ़ रहा है। रिश्ते के संकटग्रस्त होने के कारण नदियों के गैर-मानसूनी प्रवाह की मात्रा और अवधि घट रही है। पानी की गुणवत्ता बिगड़ रही है। नदी-तंत्र...

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आवरण कथाः इतने गुस्से में क्यों है पंजाब

-इंडिया टूडे, प्रधानमंत्री के तौर पर अपने कार्यकाल के ज्यादातर वक्त नरेंद्र मोदी कृषि में धीमे-धीमे बढ़ते सुधारों से संतुष्ट थे. उनके आलोचकों ने उन पर आरोप लगाया था कि जरूरी बदलावों पर निशाना साधने के लिए वे महज एयर राइफल का इस्तेमाल कर रहे हैं. उनके दूसरे कार्यकाल का अभी एक साल भी नहीं हुआ था कि कोविड-19 महामारी के तेजी से बढ़ते प्रकोप के बीच मोदी ने सुधार प्रक्रिया...

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दलित बच्चों पर कहर बन रहा है फूलों की खेती का जहर: रिपोर्ट में खुलासा

-न्यूजलॉन्ड्री, भारत में एक तरफ छोटे किसान बेहतर आमदनी के लिए भले ही निर्यात होने वाले फूलों की खेती की तरफ आकर्षित हो रहे हैं लेकिन दूसरी तरफ इसकी बड़ी कीमत मासूम बच्चों को चुकानी पड़ रही है. तमिलनाडु के तिरुवल्लूर जिले में बड़े पैमाने पर चमेली की खेती की जाती है, जिसमें राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मानकों का उल्लंघन करते हुए प्रतिबंधित जहरीले रसायनों का इस्तेमाल किया जाता है. चौंकाने वाला...

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कोविड-19 लॉकडाउन: 28 फीसदी प्रवासी मजदूरों को कमरे के किराये के लिए किया गया परेशान

-डाउन टू अर्थ, कोविड-19 को लेकर मार्च से शुरू हुए लॉकडाउन से प्रवासी मजदूरों को सबसे ज्यादा परेशानी झेलनी पड़ी। खासकर वे मजदूर-कामगार ज्यादा परेशान हुए, जो गृह राज्य छोड़कर राजधानी दिल्ली में नौकरी कर रहे थे। अव्वल तो उनका काम-धंधा बंद हो गया था, तो रोजी-रोटी का संकट आया और उस पर मकान मालिकों के अड़ियल रवैये ने जख्म पर नमक का काम किया।  हाउसिंग एंड लैंड राइट्स नेटवर्क (एचएलआरएन) की...

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