बीते सात वर्षों में जिन किसानों ने खेती छोड़कर वैकल्पिक रोजगार अपना लिया था, आगामी कुछ महीनों में उनमें से डेढ़ करोड़ किसानों के थक-हारकर अपने गांव लौट आने की संभावना है। सामान्य स्थितियों में इतने बड़े स्तर पर किसानों के शहरों से गांव लौटने को समावेशी विकास का संकेत माना जाता। लेकिन अर्थशास्त्री इस यू-टर्न को आर्थिक मंदी का नतीजा बता रहे हैं। क्रिसिल ने भी अपनी रिपोर्ट में इसे...
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613 गांवों को मिलेगा पीने का शुद्ध पानी
पटना: नौ जिलों के 613 गांवों में रहनेवाले लोगों को इस वर्ष शुद्ध पेयजल मिलेगा. केंद्र की राष्ट्रीय ग्रामीण पेयजल आपूर्ति योजना के तहत सभी गांवों में शुद्ध पेयजल की आपूर्ति होगी. बिहार सरकार के स्तर पर सिर्फ मधुबनी जिले की छह ग्रामीण जलापूर्ति योजनाओं को संस्टेबल बनाने का काम होगा. इस पर 89.90 लाख रुपये खर्च होंगे. मधुबनी में जलापूर्ति योजना का काम बिहार राज्य जल एवं स्वच्छता मिशन...
More »लेबर की कमी होने से मजदूरी दो वर्षों में दोगुनी- शमशेर सिंह
रियल स्टेट डेवलपरों को नकदी के अभाव से भी बड़ी समस्या फिलहाल मजदूरों की कमी लग रही है। मनरेगा की शुरुआत से यह संकट लगातार बढ़ता जा रहा है। मजदूरों की कमी के साथ ही इनकी मजदूरी में भी काफी तेजी से बढ़ोतरी हो रही है। आज हालात यह है कि मजदूरों की कमी प्रोजेक्ट में देरी की एक वजह बनती जा रही है। मजदूरों की किल्लत के चलते उनकी मजदूरी...
More »नीति व सुविधा के बिना गहरा रहा एड्स का खतरा- राहुल सिंह
रांची के इटकी प्रखंड इलाके के एक गांव की 60 वर्षीया महिला टीबी से ग्रस्त हैं. दुर्भाग्य से इस महिला को एचआइवी एड्स भी है. पिछले दिनों तबीयत काफी बिगड़ने के बाद उन्हें रांची स्थित रिम्स में इलाज के लिए भरती कराया गया. हालांकि वे फिलहाल ठीक हैं और टीबी और एचआइवी का उनका इलाज चल रहा है. स्वास्थ्य कर्मी उनके नियमित संपर्क में रहते हैं और अपने क्षेत्र भ्रमण...
More »झारखंड की अखंड लूट-विनोद कुमार
जनसत्ता 15 नवंबर, 2013 : तेरह साल पहले झारखंड राज्य का गठन हुआ था। झारखंड आंदोलन की काट में वनांचल आंदोलन खड़ा करने वाली भाजपा ने झारखंड राज्य का गठन क्यों किया, इसको लेकर अलग-अलग धारणाएं हैं। कुछ लोगों का मानना है कि अविभाजित बिहार की सत्ता पर काबिज होने की कोशिशों में विफल होने के बाद भाजपा ने अपने प्रभाव वाले इलाके की सत्ता पर काबिज होने की मंशा...
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