अमर पिछले 42 सालों से ग्रामीण क्षेत्रों में विकास के प्रति हमेशा कार्य करते रहे हैं. पहली बार सन् 1972 में इन्होंने इस क्षेत्र में बेहतरी के लिए कदम रखा और तब से लगातार गांव-पंचायतों के विकास में अपना योगदान दे रहे हैं. पूर्वी चंपारण के निवासी आमर को लालबहादुर शास्त्री प्रशासनिक अकादमी, मसूरी द्वारा भूमि सुधार के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य के लिए मोमेंटो और प्रमाणपत्र देकर सम्मानित किया गया...
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सफलता 100 फीसद : शहर पर भारी गांव की सरकारी तालीम
इंदौर। माध्यमिक शिक्षा मंडल के हाईस्कूल में गांव के 13 सरकारी स्कूलों के करीब 350 विद्यार्थियों ने मिलकर शहर के 130 स्कूलों के 15 हजार बच्चों को पछाड़ दिया। बोर्ड नतीजों के विश्लेषण में सामने आया कि गांव में अभावों के बीच विद्यार्थियों ने अपनी काबिलियत को साबित किया और शिक्षा विभाग की नाक रख ली। जिन गांवों के बच्चों ने यह कमाल दिखाया है उनके ग्रामीण स्कूलों के रिजल्ट...
More »जहर की खेती कब तक
मानव स्वास्थ्य : कीटनाशकों के अधिक प्रयोग से खाने-पीने के सामान हुए जहरीले यूरोप में भारतीय आम पर प्रतिबन्ध ने नीति निर्घारकों को सोचने का एक और मौका दिया है। रासायनिक खाद एवं कीटनाशकों के दुष्प्रभावों के खिलाफ पत्रिका लम्बे समय से मुहिम चलाता रहा है। अनेक शोध और अध्ययन बताते रहे हैं कि खाने-पीने की चीजों में जहर फैलता जा रहा है। सरकार से लेकर आम उपभोक्ता तक सभी को...
More »दूध उत्पादन वृद्धि में आंध्र प्रदेश सबसे आगे: एसोचैम
आंध्र प्रदेश में वर्ष 2006 से 2010 पांच वर्षों के दौरान दूध उत्पादन और प्रति व्यक्ति दूध उपलब्धता में रिकॉर्ड वृद्धि दर्ज की गई। प्रदेश में इस दौरान दूध उत्पादन में जहां 41 प्रतिशत वृद्धि दर्ज की गई वहीं प्रति व्यक्ति दूध उपलब्धता 36 प्रतिशत बढ़ी है। उद्योग संगठन एसोचैम ने मंगलवार को यह जानकारी दी। हालांकि, 11 लाख टन सालाना दूध उत्पादन के साथ कुल उत्पादन के मामले में आंध्र...
More »मेरे गुजरात की कहानी- रीतिका खेड़ा
जब मैं 16 वर्ष की थी, तब मेरी ही उम्र का एक लड़का पटना से मेरे गृहनगर बड़ोदा (गुजरात) आया। शहर को देखकर वह चकाचौंध था। बिजली की निर्बाध आपूर्ति, सड़क की बेहतरीन दशा, रात में भी बिना किसी डर के अकेली दोपहिया वाहन चलाती महिलाएं। गरबा के दौरान, रात भर, आकर्षक बैकलेस चोली में महिलाएं घूम रही थीं। उसे अपनी आंखों पर सहसा विश्वास नहीं हो रहा था। मैंने...
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