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टीचर्स को खुले में शौच करने वालों के साथ सेल्फी लेने का फरमान, मचा बवाल

पटना। बिहार में शिक्षकों को एक नया काम सौंपा गया है। यहां शिक्षक अब खुले में शौच करने वालों पर निगरानी रखेंगे और उनके साथ सेल्फी लेंगे। सरकार के इस फरमान का शिक्षक संघों ने विरोध किया है। माध्यमिक शिक्षक संघ ने, तो यहां तक कहा है कि यह शिक्षकों के पद और गरिमा का अपमान है। वह कतई इस कार्य को नहीं करेंगे। सरकारी आदेश के मुताबिक बिहार के हाईस्कूल...

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रेगिस्तान का बढ़ता दायरा-- निरंकार सिंह

दुनिया के सामने आज सबसे बड़ा संकट उपजाऊ भूमि के लगातार रेगिस्तान में बदलने से पैदा हो रहा है। धरती के रेगिस्तान में बदलने की प्रक्रिया बड़े पैमाने पर चीन, अफ्रीका, आस्ट्रेलिया, भूमध्यसागर के अधिसंख्य देशों तथा पश्चिम एशिया, उत्तरी और दक्षिणी अमेरिका के सभी देशों सहित भारत में भी जारी है। इतिहास गवाह है कि दुनिया के हर साम्राज्य का अंत उसके रेगिस्तान में बदल जाने के कारण ही...

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बस्तर के जंगलों में पाए जाने वाले कंद-मूल पर होगा शोध

योगेंद्र ठाकुर, दंतेवाड़ा। बस्तर के जंगलों में पाए जाने वाले कंद-मूल और आदिवासियों ने अन्य जंगली भोज्य पदार्थों पर शोध होगा। इतना ही नहीं बस्तरिया बीयर सलफी पर भी कार्य किया जाएगा। प्राकृतिक रुप से पेड़ से निकलने वाले इस रस को अधिक समय तक प्रिजर्व करने पर कार्य होगा। इसके लिए वैज्ञानिकों ने रुचि दिखाई है। 14 नवंबर को दंतेवाड़ा में होने वाले आदिवासी उद्यमिता सम्मेलन के बाद जिला प्रशासन...

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35 किलो चावल के लिए चार दिन सफर करते हैं ग्रामीण

भोपालपटनम। बीजापुर जिले के भोपालपटनम ब्लॉक के सेंड्रा पंचायत के तीन सौ से अधिक परिवारों के लोग 35 किलो चावल के लिए चार दिन का सफर तय कर रहे हैं। दो अन्य पंचायतों के लोगों का भी यही हाल है। 2005 में सलवा जुडूम शुरू होने के बाद भोपालपटनम ब्लॉक के तीन पंचायतों सेंड्रा, बड़ेकाकलेड व एड़ापल्ली के सरकारी राशन दुकानों को ब्लॉक मुख्यालय में शिफ्ट किया गया था। इन तीन...

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सस्ते आयात से दुश्चक्र में किसान-- रमेश कुमार दूबे

हाल ही में जारी अंतरराष्ट्रीय खाद्य नीति शोध संस्थान (आइएफपीआरआइ) के वैश्विक भूख सूचकांक में भारत पिछले साल की तुलना में तीन पायदान नीचे लुढ़क कर सौवें स्थान पर पहुंच गया। रिपोर्ट में इसके लिए सार्वजनिक वितरण प्रणाली और मध्यान्ह भोजन योजना में भ्रष्टाचार को जिम्मेदार ठहराया गया है लेकिन यह नहीं बताया गया है कि सस्ते आयात के कारण खेती घाटे का सौदा बनती जा रही है। गौरतलब है...

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