नई दिल्ली [अंशुमान तिवारी]। कदम रुके थे, पैर में बंधा पत्थर तो जस का तस था। महंगाई गई कहां थी? अर्थव्यवस्था मंदी से निढाल होकर बैठ गई थी इसलिए महंगाई का बोझ बिसर गया था। कदम फिर बढ़े हैं तो महंगाई टांग खींचने लगी है। मुद्रास्फीति का प्रेत नई ताकत जुटा कर लौट आया है। मंदी के छोटे से ब्रेक के बीच महंगाई और जिद्दी, जटिल व व्यापक हो...
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गेहूं आयात पर लग सकता है टैक्स
नई दिल्ली। देश में रबी फसल में हुई गेहूं की बंपर पैदावार सरकार के लिए समस्या बनती जा रही है। इसका भंडारण उसके लिए सबसे बड़ी चुनौती है। यही वजह है कि अब वह गेहूं आयात पर कर लगाने पर विचार करने लगी है। ऐसा करके वह गेहूं के बढ़ते स्टाक पर अंकुश लगाना चाहती है। गेहूं आयात पर कर लगाने के लिए इस महीने मंत्रिमंडलीय समिति की बैठक होने की उम्मीद है। मई...
More »खेतों के लिए चाहिए 270 सरकारी नलकूप
रुड़की (हरिद्वार)। खेतों की प्यास बुझाने के लिए हरिद्वार जनपद को अभी 270 और सरकारी नलकूप चाहिए। इन नलकूपों का प्रस्ताव नलकूप खंड सिंचाई विभाग से शासन को भेजा जा चुका है, लेकिन पहले चरण में भगवानपुर ब्लाक क्षेत्र में 58 नलकूपों के निर्माण को ही हरी झंडी मिलने के आसार हैं। हरिद्वार जनपद में करीब 38 हजार हेक्टेयर भूमि असिंचित है। हालांकि इस असिंचित क्षेत्र को सींचने के लिए सिंचाई विभाग के पास...
More »बोरो धान पर पाबंदी की तैयारी
नई दिल्ली [सुरेंद्र प्रसाद सिंह]। हड्डियों के कमजोर होने का खतरा, दांत पीले पड़कर गिरने का खतरा और ऐसे ही न जाने कितने और बीमारियों का अंदेशा। चौंकिए नहीं, हम धूम्रपान या नशीले पदार्थो की बात नहीं कर रहे। बल्कि यह मसला उस चावल का है जिसमें आर्सेनिक यानी संखिया के अंश मिले हैं। पूर्वी राज्यों के मुख्य भोजन में शामिल बोरो चावल आर्सेनिक की मौजूदगी के कारण अचानक खतरनाक हो गया है। यह जोखिम...
More »पांच वर्षो में कृषि क्षेत्र में सबसे कम वृद्धि
नई दिल्ली। सूखे के कारण देश के कृषि क्षेत्र की वृद्धि दर वित्त वर्ष 2009-2010 में 0.2 प्रतिशत की रही है, जो पिछले पांच साल में वृद्धि दर का सबसे कम आंकड़ा है। वित्त वर्ष 2008-09 में कृषि एवं सहायक क्षेत्रों की वृद्धि दर 1.6 प्रतिशत रही थी। कृषि क्षेत्र की वृद्धि दर बेशक कम रही हो, लेकिन केंद्रीय सांख्यिकी संगठन [सीएसओ] के पहले के अनुमान के मुकाबले में यह अधिक रही है। सीएसओ...
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