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इस संकट को समझना होगा-- कृष्ण कुमार

उच्च शिक्षा का दायरा जितना सीमित है, उसकी आंतरिक दुनिया उतनी ही रहस्यमय है। जनसामान्य की नजर से देखें तो कॉलेज या विश्वविद्यालय एक ऐसी जगह के रूप में दिखाई देंगे जहां बड़े लोगों के बच्चे डिग्री लेने जाते हैं। यह समझ इतनी गलत भी नहीं है, भले ही इधर के वर्षों में कॉलेज जाने वाले लड़के-लड़कियों का सामाजिक दायरा पहले की अपेक्षा कुछ फैला है। वहां डिग्री के दायरे...

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अर्थव्यवस्था के तीन इंजन-- भरत झुनझुनवाला

सरकार का दावा है कि अर्थव्यवस्था 7.6 प्रतिशत की सम्मानजनक गति से आगे बढ़ रही है. हकीकत यह है कि जमीनी स्तर पर विकास नहीं दिख रहा है. महाराष्ट्र के सीमेंट विक्रेता ने बताया कि बिक्री 30 प्रतिशत कम है. दिल्ली के टैक्सी चालक ने कहा कि बुकिंग कम हो रही है. इसके विपरीत बड़ी कंपनियां ठीक-ठाक हैं. बहरहाल, आम आदमी का धंधा कमजोर है. संभवतया इसका प्रमुख कारण मोदी...

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ऊंची विकास दर के शहसवार - सुषमा रामचंद्रन

यकीनन यह बेहद खुशी की बात है कि भारत आज दुनिया की सबसे तेज विकास दर वाला देश बन गया है। हाल ही में जारी किए गए नवीनतम अधिकृत डाटा के अनुसार वित्त-वर्ष 2015-16 में भारत की विकास दर 7.6 प्रतिशत थी। यह चीन की 6.7 प्रतिशत विकास दर से बहुत आगे है। इतना ही नहीं, वित्त-वर्ष की पिछली तिमाही में तो 7.9 प्रतिशत से भी अधिक की विकास दर...

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बेरोजगारी बढ़ने के सबब-- अरविन्द जयतिलक

पिछले दिनों प्रकाश में आई ‘एस्पाइरिंग माइंड्स' की ‘नेशनल इम्पालयबिलिटी रिपोर्ट' चिंतित करने वाली है। यह रिपोर्ट बताती है कि इंजीनियरिंग डिग्री रखने वाले स्नातकों में कुशलता की कमी है और उनमें से करीब अस्सी फीसद स्नातक रोजगार के काबिल नहीं हैं। गौरतलब है कि यह रिपोर्ट देश भर के साढ़े छह सौ से अधिक इंजीनियरिंग कॉलेजों के तकरीबन डेढ़ लाख इंजीनियरिंग छात्रों पर किए गए अध्ययन पर आधारित है।...

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किसके सपने-- कृष्णप्रताप सिंह

अरसा पहले एक गीत में एक बच्चा अपनी मां से कहता था कि वह गोली चलाना सीखेगा, क्योंकि उसे लीडर नहीं, फौजी अफसर बनना है! कई बार इस गीत को युवा पीढ़ी के अराजनीतिकरण की ‘गर्हित' कोशिशों से भी जोड़ा जाता था। लेकिन अब कोई टॉपर फौजी अफसर बनने की इच्छा भी नहीं दर्शाता। अगर कभी उसके सपनों में समाज सेवा शामिल होती है तो वह एनजीओ है जिसमें बदले...

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