तेलंगाना के बुनकर मल्लेशम ने पोचमपल्ली साड़ियों पर डिजाइनिंग के लिए अपनी मां को चार फुट लंबे आसु फ्रेम पर एक दिन में हजारों बार धागे घुमाते हुए देखा था। छठी कक्षा में ही पढ़ाई छोड़ चुके मल्लेशम के पास किताबी ज्ञान की जरूर कमी थी लेकिन धागे घुमाने के कारण अपनी मां के कंधों और हाथों में रहने वाले दर्द के प्रति उसकी संवेदना कम नहीं थी। दूसरों की परेशानी...
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नेशनल अचीवमेंट सर्वे, राज्य की शिक्षा का स्तर गिरा
रायपुर। राज्य के सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले छात्र किसी विषय को सुनने, पढ़ने और लिखने में राष्ट्रीय औसत (एनए) से 13 अंक नीचे हैं। यह रिपोर्ट नेशनल अचीवमेंट सर्वे की है। इसके अनुसार राज्य के 53 फीसदी छात्र कक्षा में पढ़ाई के दौरान ध्यान से शिक्षक की बातों को सुनते हैं, जो कि एनए से 12 फीसदी कम है। वहीं पुस्तक में लिखे शब्दों को 80 फीसदी छात्र समझ...
More »ये किसके बच्चे हैं-- कैलाशचंद्र कांडपाल
शिक्षा के क्षेत्र में काम कर रहे लोगों के बीच सरकारी स्कूलों में पढ़ रहे बच्चों के बारे में कई धारणाएं व्याप्त हैं। एक विशेष धारणा इनके परिवारों को लेकर मौजूद है। इसके तहत यह कहा जाता है कि इनके अभिभावक शिक्षा के प्रति सजग नहीं हैं। ये बच्चे सीखना नहीं चाहते और इनको सिखाना असंभव नहीं तो बेहद चुनौतीपूर्ण है, ये स्कूल में अनियमित रहते हैं आदि। ये बातें...
More »आर्थिक विकास के लिए नीतियां जरूरी
वैश्विक होती अर्थव्यवस्था के दौर में समान विकास की अवधारणा मजबूत हो रही है. नीति-निर्माता से लेकर आर्थिक विशेषज्ञ इस बात पर एकमत हैं कि विकास दर जरूरी है, लेकिन बिना आर्थिक असमानता को दूर किये विकास अधूरा है. इस व्यापक सोच के साथ रांची में ‘इंटरनेशनल काॅन्फ्रेस ऑन इन्क्लूसिव एंड सस्टेनेबल डेवलपमेंट इन झारखंड: चैलेंज एंड अपॉर्चुनिटी' विषय पर तीन दिवसीय सेमिनार का आयोजन किया जा रहा है. पूर्वी भारत...
More »भारत का आइआइटी स्वप्न-- संदीप मानुधने
एक विशाल देश भारत, जिसकी एक अद्भुत प्राचीन संस्कृति रही है, और जिसने तमाम चुनौतियों के बावजूद सदैव अच्छी व गहन शिक्षा को समाज का एक विशिष्ट पहलू बनाये रखा है, वह आज एक दोराहे पर खड़ा है. हमें एक नये तकनीकी विश्व में अपनी ठोस जगह बनानी है, हमारे संसाधन सीमित हैं और हमारे पास वक्त भी कम है. आधुनिक विश्व अर्थव्यवस्था के सबसे प्रबल और शक्तिशाली देशों...
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