विवेक पाराशर, बड़वानी। मातृ शक्ति जब कुछ करने का ठान लेती है तो बाधाएं दूर भागते देर नहीं लगती। जिले की आर्थिक रूप से कमजोर 10 महिलाओं ने एक समूह बनाकर सिलाई और अन्य काम शुरू किया। काम शुरू हुआ और रोज 75 रुपए आय होने लगी। चार साल में सबकी मेहनत और लगन ने ऐसा कमाल दिखाया कि अब हर सदस्य 15 से 30 हजार रुपए महीने कमा रही...
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चिकित्सा आयोग की चुनौतियां-- डा. ए के अरुण
नरेंद्र मोदी जी के केंद्र की सत्ता में आते ही देश की कई संस्थाओं में बदलाव की पहल शुरू हुई. सबसे पहले योजना आयोग को बदलकर 'नीति आयोग' कर दिया गया. अर्थशास्त्री अरविंद पनगढ़िया को नीति आयोग का पहला उपाध्यक्ष नियुक्त किया गया. फिर पनगढ़िया के नेतृत्व में एक उच्चस्तरीय समिति का गठन कर यह प्रक्रिया शुरू की गयी कि भारतीय चिकित्सा परिषद (एमसीआई) और साथ-साथ आयुष की चिकित्सा...
More »हमारे लोकतंत्र का शीत सत्र-- मोहन गुरुस्वामी
संसद का अत्यंत विलंबित शीत सत्र शुरू हो चुका है. इसमें मची चीख-पुकार के सिवाय, मेरी समझ से यह समाप्तप्राय है. ऐसे बहुत-से मुद्दे हैं, जिन पर चर्चा होनी ही चाहिए थी, मगर वह नहीं होगी जैसे, राफेल, प्रस्तावित वित्तीय संकल्प और जमा बीमा (एफआरडीआई) बिल, जीएसटी का क्रियान्वयन, नोटबंदी की सामाजिक एवं आर्थिक कीमतें, ग्रामीण संकट, आदिवासी अशांति, नेपाल की घटनाएं, मालदीव के साथ चीन का मुक्त व्यापार करार....
More »ट्रेन में भीख मांगकर प्रोफेसर ने जुटाए 1 करोड़, गरीब बच्चों के लिए खोले स्कूल
अभिषेक शर्मा, इंदौर। मरीन इंजीनियर के रूप में करियर शुरू कर प्राइवेट कंपनी के वाइस प्रेसिडेंट और देश के जाने माने संस्थान एसपी जैन मैनजमेंट कॉलेज के प्रोफेसर संदीप देसाई जिंदगी के एक ऐसे सफर में हैं, जिस पर चलना हर किसी के लिए संभव नहीं है। लाखों का पैकेज छोड़ गांव के गरीब बच्चों को इंग्लिश मीडियम स्कूल में शिक्षा दिलाने की जिद लिए संदीप देसाई ने मुंबई की लोकल...
More »बचत पर बाजार की नजर-- राजू पांडेय
अब आम आदमी का धन क्या बैंकों में सुरक्षित नहीं रहेगा? एफआरडीआइ विधेयक की बाबत इस सवाल पर चर्चा जारी है। सामान्यतया बैंक और उसके जमाकर्ताओं के हित परस्पर विरोधी नहीं होते, पर जब उद्योगपतियों को दिए गए विशाल कर्जों की माफी के लिए ‘बेलआउट पैकेज' और इस कारण दिवालियेपन के कगार पर पहुंचे बैंकों को बचाने के लिए ‘बेल इन' का सहारा लिया जाता है तब बैंकों और जमाकर्ताओं...
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