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न्याय के प्रप्रतिनिधियों को न्याय नहीं

गांवों में आम आदमी को सस्ता, सुलभ न्याय दिलाने के उद्देश्य से 73 वां संविधान संशोधन विधेयक के तहत बिहार में ग्राम कचहरी को भी कानूनी मान्यता दी गयी. छोटे-मोटे विवादों का निबटारा गांवों में हो, ताकि बड़ी अदालतों पर बोझ कम हो. इसी मकसद से ग्राम कचहरी का गठन किया गया. राज्य में इसके प्रप्रतिनिधि भी हजारों की संख्या में चुने गये. पंच-सरपंच संघ बिहार प्रदेश के अध्यक्ष आमोद...

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खुद की ट्राइसिकिल पर दौड़ेगा शनिचरवा

अक्सर लोग किसी काम के न हो पाने के लिए संसाधनों का रोना रोते रहते हैं. लेकिन कुछ ऐसे सिरफिरे होते हैं जो जिस काम के पीछे जुट जाते हैं तो उसे पूरा करके ही दम लेते हैं. चाहे संसाधन उपलब्ध हो या न हो. ऐसी ही एक मिसाल शनिचरवा उरांव की है. सड़क हादसे में पांव गंवाने वाले शनिचरवा से जब घर और समाज के लोगों ने मुंह...

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मलाला अवॉर्ड से रजिया के गांव में जश्न का माहौल

मेरठ की रजिया सुल्तान को पहला मलाला अवॉर्ड मिलने की घोषणा के बाद उसके गांव नांगला कुभा में जश्न का माहौल है और गांव के लोग इस 16 वर्षीय लड़की को इतनी ऊंचाई पर देखकर बहुत गौरावान्वित महसूस कर रहे हैं। ईंट आपूर्ति का काम करने वाले रजिया के पिता फरमान को अभीतक अपनी बेटी को मिलने वाले पहले मलाला अवॉर्ड के महत्व और प्रतिष्ठा का अनुमान भी नहीं है फिर...

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अब वार्ड सदस्य को भी चाहिए योजनाओं के कमीशन में हिस्सा : दयामनी

हमारे गांवों का कितना विकास हुआ है. क्या चुनौतियां हैं. विकास के मौजूदा मॉडल से आप कितनी सहमत हैं? मौजूदा विकास को दो-तीन तरह से देखना होगा. पहले समझना होगा कि विकास का मतलब क्या है. किस तरह का विकास होना है और किसका विकास होना है. आज सरकार की नजर में विकास का जो पैमाना है, जिसे मेनस्ट्रीम सोसाइटी विकास मानती है, और जो विकास हो रहा है क्या कल...

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लाह की खेती से बेड़ाडीह में आयी खुशहाली

रांची के नामकुम प्रखंड की हहाप पंचायत का घने जंगलों के बीच बसा बेड़ाडीह गांव के लोग पहाड़ी-पथरीली भूमि पर थोड़ी-बहुत खेती कर व कुछ वनोपज तैयार कर अपनी जीविका चलाते रहे हैं. अन्य वनोपज की तरह वे लाह का भी उत्पादन करते रहे हैं, लेकिन तकनीक व वैज्ञानिक सोच के अभाव में ग्रामीणों में इससे आर्थिक समृद्धि नहीं आयी. किसी तरह लोग अपना गुजर-बसर कर लेते थे. पर, नामकुम...

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