लखनऊ: केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री जयराम रमेश ने उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को पत्र लिखकर प्रदेश में मनरेगा के क्रियान्वयन में कतिपय खामियों का उल्लेख करते हुए इस संबंध में उनसे व्यक्तिगत ध्यान देने की अपेक्षा की है. मुख्यमंत्री को लिखे पत्र में रमेश ने उन्हें सूचित किया कि हाल ही में मनरेगा के तहत प्रदेश सरकार को जारी 431.5 करोड़ रुपये की धनराशि से लेकर अब तक कुल 2696 करोड़ रुपये...
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बिहार को मिले नो इंडस्ट्री स्टेट का दर्जा : एसोचैम
पटना: एसोचैम के महासचिव डीएस रावत ने कहा कि बिहार को नो इंडस्ट्री स्टेट का दर्जा दिया जाना चाहिए. जिस तरह से नो इंडस्ट्री डिस्ट्रिक को सुविधाएं दी जाती है, उसी आधार पर बिहार में करों में रियायत दी जानी चाहिए. करों में छूट 10 वर्षों के लिए दिया जाना चाहिए. राघुराम राजन कमेटी की अनुशंसा का बिहार हकदार भी है. बिहार के एक दिवसीय दौरे पर आये एसोचैम...
More »भारतीय लोकोपकार
“रिवीलिंग इंडियन फिलैंथ्रोपी” पढ़ने के बाद, फ्रांसेस्को ओबिनो का सवाल है कि क्या भारत में लोकोपकार(फिलैंथ्रोपी) समतामूलक तथा टिकाऊ विकास में मददगार हो सकता है । भारत में घरेलू लोकोपकार की बढ़ती हुई क्षमता आशा जगाती है। भारतीय करोड़पतियों की संख्या 2012 में एक लाख तिरपन हजार (यूएस डॉलर के आधार पर) थी और अनुमानों के मुताबिक साल 2017 तक यह संख्या दो लाख बयालीस हजार तक पहुंच जायेगी जो अपने...
More »इनकार का मताधिकार- कुमार प्रशांत
जनसत्ता 3 अक्तूबर, 2013 : बरसों-बरस से जिसकी मांग की जा रही थी, वह संसद से भले न मिल सका, न्यायालय से तो मिला! भारतीय मतदाता को यह अधिकार मिला कि वह चुनाव में विभिन्न पार्टियों द्वारा खड़े किए गए उम्मीदवारों को अपने विवेक की कसौटी पर कसे और अगर उसे लगे कि सभी एक ही थैली के चट्टे-बट्टे हैं तो वह सबको रद्द करने का बटन दबा सके। मतलब...
More »आज के संदर्भ में ग्राम-स्वराज- भारत डोगरा
जनसत्ता 2 अक्तूबर, 2013 : गांधीजी ने ग्राम स्वराज्य का सपना देखा था। लेकिन आजादी मिलने के बाद जो विकास नीति अपनाई गई, उसमें इस सपने के लिए कोई जगह नहीं थी। इसीलिए ग्रामीण इलाकों से शहरों की तरफ पलायन हमारे नीति नियंताओं को कभी चुभा नहीं। सकल राष्ट्रीय आय में कृषि क्षेत्र की घटती हिस्सेदारी भी उन्हें चिंतित नहीं करती। भारत के गांवों में आजादी के बाद कैसा बदलाव हुआ? इतने...
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