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मांग के बहाने जाटों की ये कैसी मनमानी! - संजय गुप्त

हरियाणा में आरक्षण की मांग को लेकर जाट प्रदर्शनकारियों ने जैसा खौफनाक कहर ढाया और आंदोलन के नाम पर जातीय दंगे सरीखे जो हालात उत्पन्न् किए, उसकी जितनी भर्त्सना की जाए, कम है। आरक्षण आंदोलन का ऐसा भयावह हश्र समाज और राजनीतिक दलों के साथ-साथ नीति-नियंताओं को आगाह करने वाला भी है। आरक्षण की जाटों की मांग नई नहीं है। वे 1995 से ही आरक्षण की मांग करते चले आ...

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अच्छे दिनों की सतर्क उम्मीद-- कन्हैया सिंह

चालू वित्त वर्ष का आर्थिक सर्वेक्षण बताता है कि आर्थिक मोर्चे पर सरकार इस बार काफी सतर्कता बरत रही है। खासकर वर्तमान के आकलन और भविष्य के लक्ष्य तय करने के मामले में। बड़ी-बड़ी उम्मीदें बांधने की बजाय उसने व्यावहारिक रवैया अपनाया है। मसलन, अगले वित्त वर्ष की विकास दर को ही लें। सरकार ने अनुमान लगाया है कि अगले साल जीडीपी की विकास दर सात से साढ़े सात फीसदी के...

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पूर्व विधायक की पत्नी को पेंशन लेने में लगे 16 साल

चंद्रशेखर बड़सीला, बागेश्वर। अविभाजित उत्तर प्रदेश के समय में दो बार विधायक रहे पूरन चंद्र आर्या की पत्नी को पेंशन पाने में 16 साल तक दौड़ लगानी पड़ी। कभी लखनऊ तो कभी देहरादून में सरकार और शासन से फरियाद करते-करते उनकी पत्नी माया थक गईं। तब क्षेत्रीय विधायक ने उन्हें न्याय दिलाने का जिम्मा अपने हाथ में लिया। मुख्यमंत्री हरीश रावत तक बात पहुंची। उन्होंने माया को पेंशन देने की सहमति...

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जातीय विषमता का जहर और आरक्षण की आग - राजकिशोर

हरियाणा और उसके आसपास का बड़ा इलाका जाट समुदाय की आरक्षण की मांग की आग में झुलस गया। इन मांगों का कभी अंत भी नहीं होगा। समानता व सामाजिक उत्थान के लिए आरक्षण की मांगों के पक्ष में कुछ भी तर्क दिए जाएं, लेकिन मुट्ठीभर लोगों का ही भला करने वाले इस तरीके से न तो समानता आने वाली है और न ही समाज में जातियों का जहर मिटने वाला...

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देशप्रेम और देशद्रोह के बीच बजट-- पुष्पेश पंत

किसी भी सरकार के लिए बजट बनाना अौर उसे पास कराना एक बड़ी चुनौती होती है. यदि यह वित्तीय विधेयक पास नहीं होता, तो इसे सदन के विश्वास का अभाव समझा जाता है अौर सरकार गिर सकती है.  अगर बजट पास भी हो जाये अौर उसके प्रावधानों से जनता में असंतोष फैलता है, तब भी किसी सरकार के लिए अपने जनाधार को बरकरार रखना कठिन होता जाता है. हर नयी...

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