बठिंडा. डेंगू नू छड्डो, तुसीं कबड्डी दा नजारा लुट्टो, डेंगू तां डीसी, एसएसपी लभ लैणगे। दीवाली आ गई ए, पटाखे चलणगे तां डेंगू आपे भज जाऊ! यह कहना था डिप्टी सीएम सुखबीर बादल का। सुखबीर बुधवार को यहां मीडिया से रूबरू थे। बठिंडा के खेल स्टेडियम में एक नवंबर को होने जा रहे विश्व कबड्डी कप के उद्घाटन समारोह की तैयारियों का जायजा लेने पहुंचे सुखबीर से मीडिया ने शहर में नियंत्रण...
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बारिश से हजारों घर ध्वस्त, नौ की मौत
मुजफ्फ़रपुर : रविवार से शुरू हुई बारिश मंगलवार शाम तक नहीं थमी. लगातार बारिश से सभी प्रखंडों में भारी तबाही हुई है. कई जगहों पर घर गिरने से आधे दर्जन से अधिक लोगों की मौत हो गयी. मोतीपुर में पांच, मीनापुर में एक, सरैया में एक, पारु में एक व औराई में एक मौत हुई है. दूसरी तरफ, किसानों की किस्मत पर भी बारिश ने पानी फेर दिया है. कई प्रखंडों में...
More »इंटरनेट पर गायों का लेखा-जोखा
बेझा गांव के राकेश रंजन उर्फ़ बब्बू सिंह हाइटेक पशुपालक और किसान हैं. 35 वर्षीय राकेश चार साल पहले आम लोगों में शुमार थे, लेकिन अपनी मेहनत और लगन के बल पर अब खास बन गये हैं. आधुनिक संचार साधन का इस्तेमाल कर परंपरागत खेती-किसानी का स्वरूप कैसे बदला जा सकता है, इसका बेहतर उदाहरण राकेश ने पेश किया है. बब्बू के पास उन्नत नस्ल की 19 गायें हैं, जिनमें से सभी का...
More »गोदान : किसान की शोकगाथा--- . गोपाल प्रधान
‘गोदान’ के प्रकाशन के 75 साल पूरे हो गए हैं लेकिन भारत का देहाती जीवन आज भी लगभग उन्हीं समस्याओं और चुनौतियों से घिरा दिखता है जिनका वर्णन मुंशी प्रेमचंद के इस कालजयी उपन्यास में हुआ है. गोपाल प्रधान का आलेख सन 1935 में लिखे होने के बावजूद प्रेमचंद के उपन्यास 'गोदान' को पढ़ते हुए आज भी लगता है जैसे इसी समय के ग्रामीण जीवन की कथा सुन रहे हों....
More »पदयात्रा, पंचायत और पैंतरेबाजी- (रिपोर्ट अतुल चौरसिया, तहलका)
कांग्रेस महासचिव राहुल गांधी की हालिया पदयात्रा का एक मकसद साफ है, यह किसानों के हितों से ज्यादा चुनावी हितों को समर्पित थी. लेकिन राजनीति के ऐसे दौर में जब नेता गाड़ियों-बंगलों के बाहर झांकना ही नहीं चाहते, क्या उनकी यात्रा को सिर्फ अवसरवादी कहकर नकार दिया जाए? अतुल चौरसिया की रिपोर्ट पदयात्राएं और रथयात्राएं बहुत उत्पादक होती हैं. चुनावी शुभ-लाभ के लिहाज से. अतीत इसका दस्तावेज है. जिन लोगों ने...
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