नई दिल्ली- महंगाई ने पिछले एक साल में लोगों की जीवन शैली में काफी बदलाव पैदा किया है। उच्च मध्य वर्ग के परिवारों में हालांकि इस महंगाई का असर ज्यादा नहीं दिखाई देता लेकिन ऐसे परिवार भी मानते हैं कि मामूली ही सही, उनकी लाइफस्टाइल में भी बदलाव जरूर आया है। सब्जियों, शक्कर, खाद्यान्न, दालों, दूध, घी, मिठाइयां और दूसरी तमाम खाने-पीने से जुड़ी चीजों की कीमतें इस दौरान दोगुनी तक...
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‘अब हर किसी को गेहूं और चावल चाहिए’- शरद पवार
सुबह के आठ बजे हैं. लेकिन 69 वर्षीय भारत के कृषि मंत्री शरद पवार अपने दिल्ली स्थित घर में बने ऑफिस में व्यस्त हो चुके हैं...अनाज और सब्जियों की लगातार बढ़ रही कीमतों के मुद्दे पर आलोचनाओं से घिरे पवार ने अजित साही और राना अय्यूब से उनके कार्यकाल में कृषि नीतियों पर काफी लंबी बात की. साक्षात्कार के अंश यूपीए सरकार के कार्यकाल में कृषि क्षेत्र का प्रदर्शन यूपीए जब सत्ता...
More »भंडार भरे, फिर भी मार रही महंगाई
नई दिल्ली [सुरेंद्र प्रसाद सिंह]। सरकारी भंडारों में निर्धारित मानक से तीन गुना ज्यादा अनाज, पिछले साल से बेहतर चीनी सत्र और सस्ते खाद्य तेलों की पर्याप्त उपलब्धता!...इसके बाद भी महंगाई मार रही है। दरअसल सरकार खाद्य अर्थव्यवस्था के प्रबंधन में बुरी तरह चूक गई है। शुक्रवार को संसद में चीनी की कीमतों में वृद्धि के बहाने प्रधानमंत्री ने इसे असफलता को स्वीकार भी कर लिया। उचित समय पर सही निर्णय लेने में खाद्य मंत्रालय...
More »महंगाई के जख्म पर सस्ते राशन का मरहम
निधिनाथ श्रीनिवास नई दिल्ली : सरकारी राशन दुकानों के सामने लगने वाली कतारें लंबी होने लगी हैं। निजी दुकानों पर खाद्य उत्पादों के दाम आम आदमी की ...
More »बाघों की मौत का वर्ष होगा 2010
समूची दुनियां में भारत की वन्य जीव संपदा से भरपूर सबसे बड़े देश के रूप में गिनती होती है. तमाम प्राकृतिक प्रकोप बाढ़ ओद आपदाओं, अंधांधुध शिकार, कभी जान की सुरक्षा के चलते की जाने वाली हत्याओं ओद कारणों से हुई वन्य जीवों की बेतहाशा मौत के बावजूद यह स्तर आज भी कायम है. राष्ट्रीय पशु बाघ को लें. एक समय देश में बाघों की तादाद करीब चालीस हजार थी. आज सरकार की...
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