जातियों का उद्भव राजनीति के लिए नहीं हुआ था। मगर आज जातियां भारतीय राजनीति को आधार दे रही हैं। कहते हैं कि जातियों का उद्भव व्यवसायों व पेशों से जुड़ा था। पहले पेशे से ही जातियां निर्धारित होती थीं। फिर ये ‘जन्मना' अर्थात जन्म से जुड़ गईं। आज के दौर में, जब जातियों को ‘पहचान ' से जोड़कर उनका आक्रामक राजनीतिक इस्तेमाल किया जाने लगा है, तब इनकी एक नई...
More »SEARCH RESULT
सूखे में हो रही बारिश-- कुमार प्रशांत
किसान खुशहाल हो गये! अब किसान नेता अपने-अपने अांदोलन वापस ले लें. सूखे के अांकड़ों की ऐसी बारिश हुई है कि धरती अाप्लावित हो गयी है. प्रधानमंत्री ने कबीर-भूमि पर जाकर शताब्दियों का ऐसा कॉकटेल बनाया कि इतिहास अौर इतिहासकार सभी चारों खाने चित हो गये. उन्होंने ‘मेरे किसान भाइयों' की तरफ नजर घुमायी अौर एक ऐसी लकीर खींच दी कि किसान इधर अौर समस्याएं उधर रह गयीं. किसानों को...
More »कर्नाटक के विनाश की नई राह-- रामचंद्र गुहा
यह 1989 की बात है जब मैं शिवराम कारंथ से उनके दक्षिण कर्नाटक स्थित गांव सालिग्राम में मिला था। आधुनिक कन्नड़ उपन्यास के जनक, यक्षगान जैसे प्राचीन नृत्य नाटक का पुनर्पाठ प्रस्तुत करने वाले, विधवा विवाह और स्त्री शिक्षा को बढ़ावा देने वाले शिवराम कारंथ उन दिनों अपने प्यारे पश्चिमी घाटों को विनाश से बचाने की मुहिम में जुटे थे। 80 साल की उम्र में भी वे खासे सक्रिय रहकर...
More »RTI कार्यकर्ता को PMO ने नहीं दिया चाय-नाश्ते के खर्च का ब्योरा
भोपाल (स्टेट ब्यूरो)। केजरीवाल सरकार में चाय-नाश्ते पर खर्च को कॉमनवेल्थ घोटाले जैसा बताने वाली भाजपा की केंद्र सरकार प्रधानमंत्री कार्यालय में चाय-नाश्ते के खर्च का ब्यौरा नहीं रखती है। सूचना का अधिकार (आरटीआई) के आवेदन पर प्रधानमंत्री कार्यालय ने बताया है कि सरकारी खातों में यह ब्यौरा नहीं रखा जाता है, इसलिए प्रधानमंत्री कार्यालय और निवास में चाय-नाश्ते पर खर्च की कोई जानकारी नहीं दी जा सकती। एक आरटीआई आवेदन...
More »पाठ्यपुस्तक में इमरजेंसी अध्याय-- प्रो. योगेन्द्र यादव
इमरजेंसी पर केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर के बयान ने मुझे एक भूले-बिसरे किस्से की याद दिला दी. जब भी इस किस्से को याद करता हूं तो विस्मय होता है, गर्व भी होता है. जयपुर में भाजपा द्वारा आपातकाल को काले दिवस की तरह मनानेवाले कार्यक्रम में केंद्रीय शिक्षा मंत्री ने कहा, 'हमने तय किया है कि हम पाठ्यक्रम में बदलाव कर आपातकाल की सत्यता के बारे में विद्यार्थियों को भी...
More »