प्रिय प्रधानमंत्री जी, मुझे यह जानकर खुशी हुई कि सुप्रीम कोर्ट को ‘‘सम्मानपूर्वक’’ फटकारते हुए आप ने कहा है कि अनाज, सड़ते हुए खाद्यान्न का निपटारा जैसे सभी सवाल नीतिगत मामले हैं. आप बिल्कुल सही कह रहे हैं और बहुत दिनों बाद ऐसा किसी ने कहा है. ऐसा कर आप संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन की सार्वजनिक बयानबाजी में ईमानदारी लाने की एक छोटी-सी कोशिश कर रहे हैं, जिसकी बहुत कमी महसूस की जा रही थी. बेशक यह...
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भूखे देश से अनाज का निर्यात- देविंदर शर्मा
कोई और देश यहां भूख मिटाने नहीं आयेगा. संविधान में भी कहा गया है कि लोगों की भूख मिटाना सरकार का दायित्व है. ऐसे में भूखे लोगों की उपेक्षा कर अनाज का निर्यात अपराध ही है. देश में बंपर फसल को देखते हुए अनुमान है कि आगामी एक जून तक गेहूं और धान का भंडार करीब 7.5 करोड़ टन का हो जायेगा. दूसरी ओर देश में 32 करोड़ लोग आज भी...
More »बुजुर्गों के लिए इज्जत की जिन्दगी -आईए, एक अभियान का हिस्सा बनें
बुजुर्गों की जीवन-संध्या पूरी गरिमा और बिना किसी अभाव के बीते- यह हर सभ्य समाज का नैतिक दायित्व है। बुजुर्गों के प्रति इसी दायित्व-भाव से पेंशन परिषद् दिल्ली में जन्तर-मन्तर पर अगामी 7 मई से 11 मई(2012) तक एक अभियान के तहत धरने का आयोजन कर रहा है। धरने के आयोजन के पीछे मकसद एकदम सरल और सहज है, और इस मकसद को पूरा करने का वक्त अब आ चुका है। आगे की पंक्तियों को...
More »एक बच्चे की कहानी, जो झकझोर देती है अंतर्राष्ट्रीय जर्नलिस्ट की आत्मा!
मुंबई. गरीबी पर 2005 की वर्ल्ड बैंक रिपोर्ट के मुताबिक भारत की कुल आबादी का 47.6% हिस्सा गरीबी रेखा के अंतर्राष्ट्रीय मानक से नीचे का जीवन जीने को मजबूर है. इसी तरह 2010 की UNDP रिपोर्ट बताती है कि देश की 37.2% आबादी गरीबी रेखा के राष्ट्रीय स्तर से नीचे का जीवन गुजर करती है. इस स्थित को देश के लगभग 6 करोड़ उन नौनिहालों को भी झेलना पड़ता है जिन पर...
More »सोनकब्र!- हिमांशु वाजपेयी की रिपोर्ट(तहलका ,हिन्दी)
उत्तर प्रदेश में सोनभद्र जिले के कई गांव एक महीने के भीतर 100 से भी ज्यादा बच्चों की मौत देख चुके हैं, लेकिन शासन यह मानने के लिए तैयार नहीं. और जाहिर सी बात है कि जब मानेगा ही नहीं तो कुछ करेगा भी क्यों? हिमांशु बाजपेयी की रिपोर्ट सोनभद्र में हालात उससे कहीं ज्यादा बुरे हैं जितना सोचकर आप लखनऊ या दिल्ली से यहां आते हैं. महज कुछ घंटे यहां गुजारने...
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