थॉमस पिकेटी ('21वीं सदी में पूंजी' के लेखक) ने अपने हालिया भारत दौरे में यहां के कुलीन वर्ग को कुछ कठोर संदेश दिए हैं। गौरतलब है कि यह संदेश उस समय आया है, जब भारतीय अर्थव्यवस्था स्थिर है और ग्रामीण आय में वृद्धि संभवतः वास्तविक रूप से नकारात्मक है। उन्होंने चेतावनी दी कि भारत के सत्तारूढ़ अभिजात वर्ग को यह ढोंग बंद करना चाहिए कि वह आय और संपत्ति का...
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जरूरी है इन्नोवेशन का रोडमैप-- भरत झुनझुनवाला
नये उद्यमियों की मदद का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का संकल्प स्वागतयोग्य है. देश के युवाओं के पास नये उद्योग लगाने के आइडिया हैं, परंतु कार्यान्वित करने के लिए पूंजी नहीं है. सरकार द्वारा इन्हें समर्थन देने से इनकी छिपी हुई ऊर्जा बाहर आ सकती है और देश को आगे बढ़ा सकती है. लेकिन, केवल आर्थिक मदद से काम नहीं बनेगा, सही वातावरण भी बनाना होगा. तमाम ऐसे आइडिया हैं, जिन्हें...
More »कब कमर कसेगी सरकार-- शंकर अय्यर
आप इसे बजट राग कह सकते हैं, जो पैसे के मूल मंत्र पर केंद्रित है। बजट के मौसम में सरकारी विचार कक्ष में पैसे के बारे में काफी चर्चा होती है। इस बार भी चर्चा हो रही है कि सरकार को राजकोषीय घाटे को नियंत्रित करना चाहिए या उसकी चिंता छोड़ देनी चाहिए। चर्चा इस पर भी है कि किसे दर्द सहना चाहिए और किसे फायदा होगा। विकास का सिद्धांत...
More »पंचवर्षीय योजनाओं का आम बजट में हो सकता है पटाक्षेप
नई दिल्ली। योजना आयोग खत्म होने के बाद नेहरू युग का एक और प्रतीक इतिहास बनने जा रहा है। सरकार पंचवर्षीय योजनाएं बनाने की परंपरा छोड़कर विकास का "राष्ट्रीय एजेंडा" तैयार करने की नई शुरूआत कर सकती है। माना जा रहा है कि आगामी आम बजट में 12वीं पंचवर्षीय योजना के लिए अंतिम बार आवंटन के साथ ही केंद्रीयकृत पंचवर्षीय योजनाओं की मौजूदा व्यवस्था का पटाक्षेप हो सकता है। सूत्रों ने...
More »रघुराम राजन की टिप्पणी के बाद जीडीपी पर कोहराम
किसी भी देश के सकल घरेलू उत्पादन (जीडीपी) का निर्धारण एक जटिल अर्थशास्त्रीय प्रक्रिया होती है. इसमें अर्थव्यवस्था के हर क्षेत्र के उपलब्ध आंकड़ों, मुद्रास्फीति तथा आधार वर्ष के आंकड़ों के समायोजन से कुल उत्पादित वस्तुओं और सेवाओं के मूल्य तय किये जाते हैं. पिछले साल भारत सरकार ने जीडीपी के आकलन की प्रक्रिया में बड़ा फेरबदल किया, जिसे लेकर उद्योग जगत, अर्थशास्त्रियों और नीति-निर्धारकों में चर्चा चल रही है....
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