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विषमता की दुनिया-- धर्मेंन्द्रपाल सिंह

दावोस में विश्व आर्थिक मंच (वर्ल्ड इकोनोमिक फोरम) की बैठक से ठीक पहले आर्थिक असमानता पर जारी आॅक्सफेम रिपोर्ट चौंकाती है। ‘एन इकॉनमी फॉर 99 परसेंट' नामक इस रिपोर्ट के अनुसार, आज बिल गेट्स, वारेन बफेट जैसे केवल आठ धन्नासेठों के पास विश्व की आधी गरीब आबादी यानी 3.6 अरब जनता के बराबर धन-दौलत है और एक प्रतिशत अमीरों के कब्जे में 99 फीसद संपत्ति है। यह हालत तब है...

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प्रदूषण के लिए सरकार जिम्मेवार-- डा. भरत झुनझुनवाला

देश के तमाम शहरों में वायु प्रदूषण ने गंभीर रूप धारण कर लिया है. लोग बीमार हो रहे हैं, परंतु सरकार निष्क्रिय है. सरकार के इस कृत्य को समझने के लिए प्रदूषण का गरीब तथा अमीर पर अलग-अलग प्रभाव को समझना होगा. अर्थशास्त्र में दो तरह के माल बताये जाते है- व्यक्तिगत एवं सार्वजनिक. व्यक्तिगत माल वे हुए, जिन्हें व्यक्ति अपने स्तर पर बाजार से खरीद सकता है जैसे चाय...

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नोटबंदी: सिर्फ दो महीनों में देश से 12 लाख करोड़ रुपए ले गए NRI!

एक तरफ सरकार का दावा है कि विदेशों में मौजूद भारतीय देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने में बेहद मददगार साबित हो रहे हैं। हालांकि आंकड़ों पर नज़र डालें तो स्थिति उलटी ही नज़र आ रही है। बीते साल के अक्टूबर-नवंबर महीनों में प्रवासी भारतीय (NRI) ने देश से 17 अरब डॉलर करीब 12 लाख करोड़ रुपए की बड़ी रकम यहां से वापस ले गए हैं। बता दें कि इसी...

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जर्मन अर्थशास्त्री का दावा- भारत में नोटबंदी के पीछे है अमेरिका का हाथ

8 नवंबर को भारत में नोटबंदी का फैसला लागू हुआ था और 500 और 1000 के नोट बंद कर दिए गए थे। लोगों को पैसे बदलवाने के लिए बैंक और एटीएम की लाइनों में लगना पड़ा। लेकिन शायद किसी को यह भनक तक नहीं लगी होगी कि नोटबंदी के इस फैसले के पीछे अमेरिका का हाथ है। एक लेख में जर्मन अर्थशास्त्री नॉर्बर्ट हैरिंग ने यह दावा किया है। उन्होंने कहा...

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नए संकट ज्यादा गंभीर हैं -- हिमांशु

पिछले साल की आखिरी शाम को दिया गया प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का राष्ट्र के नाम संदेश उन ऊंचाइयों तक पहुंचने में नाकाम रहा, जिसका प्रचार किया गया था। लोग बीते 50 दिनों से कठिनाइयों का डटकर सामना कर रहे थे। इन दिनों वे कतारों में लगे रहे और अपनी खरीदारी भी कम की। मुश्किलों से राहत मिलने की उम्मीद वे मोदी के भाषण से लगा रहे थे। उन्हें यह भी...

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