नई दिल्ली [अंशुमान तिवारी]। कदम रुके थे, पैर में बंधा पत्थर तो जस का तस था। महंगाई गई कहां थी? अर्थव्यवस्था मंदी से निढाल होकर बैठ गई थी इसलिए महंगाई का बोझ बिसर गया था। कदम फिर बढ़े हैं तो महंगाई टांग खींचने लगी है। मुद्रास्फीति का प्रेत नई ताकत जुटा कर लौट आया है। मंदी के छोटे से ब्रेक के बीच महंगाई और जिद्दी, जटिल व व्यापक हो...
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बंजर भूमि पर किसान उपजा रहे सोना
मगध (गया/औरंगाबाद/नवादा/जहानाबाद)। कृषि क्षेत्र में भी राज्य सरकार की पहल अब रंग लाने लगी है। मगध प्रमंडल के कृषकों को बेहतर उत्पादन के गुर सिखाए जा रहे हैं। बदलते परिवेश में विशेषकर मौसम के उतार-चढ़ाव को ध्यान में रखते हुए फसलों के उत्पादन एवं इकाई क्षेत्र की उत्पादकता बढ़ाने के लिए किस्मों का चुनाव, समय से बोआई, नराई-गुहाई, तृण-नियंत्रण, निर्धारित समय पर उचित मात्रा में जैविक एवं रासायनिक उर्वरकों का व्यवहार, सिंचाई की उचित व्यवस्था, कीट...
More »बिहार: खेतों में पंजाबी मेहनतकश!
करगहर [रोहतास, सुरेंद्र तिवारी]। अभी तक सूबे के लोग ही पंजाब जाकर खेतों में मेहनत करते थे लेकिन समय के साथ बदली फिजा का असर है कि आज पंजाबी मेहनतकश बिहार के खेतों में पसीना बहाते नजर आ रहे हैं। इन लोगों से सीख लेकर यहां के लोग भी सूबे की उपजाऊ मिट्टी में सुखद भविष्य की कल्पना कर सकते हैं। किसानी की बदौलत कुछ हद तक मजदूरों के पलायन की रफ्तार में...
More »नर्मदा की छाती पर एक नया पत्थर
भीष्म जी कहते हैं, ‘‘युधिष्ठिर ! जिन वृक्षों के फल खाने के काम आते हैं, उनको तुम्हारे राज्य में कोई काटने न पावे-इसका ध्यान रखना।’’ - ‘महाभारत-शान्तिपर्व’ जिस समय दिल्ली में सरदार सरोवर बांध की ऊँचाई को 122 मीटर से बढ़ाकर 139 मीटर किए जाने की बैठक चल रही थी, ठीक उसी समय इंदौर के विसर्जन आश्रम में नर्मदा बचाओ आंदोलन की नेत्री सुश्री मेधा पाटकर 11 अप्रैल 2010 से प्रारंभ...
More »धरती कहे पुकार के
ढ़ती हुई कीमतें उस आपदा का सिर्फ एक संकेत हैं, जिससे खेती जूझ रही है. दरअसल भारतीय कृषि क्षेत्र बुरी तरह से चरमरा रहा है. संकट से पार पाने के लिए नजरिए में बड़े बदलावों की जरूरत है. लेकिन कृषि मंत्री शरद पवार आपदा की इस आहट को सुनने के लिए तैयार नहीं. अजित साही और राना अय्यूब की रिपोर्ट सरकारी नीतियों से लेकर अखबार की सुर्खियों तक तरजीह पाने वाली...
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