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अपर्याप्त क्लाइमेट फाइनेंस के बीच, परिभाषा पर जारी है विकासशील देशों का संघर्ष

कार्बनकॉपी, 15 अक्टूबर साल 2024 तक दुनिया को एक नया जलवायु वित्त लक्ष्य (क्लाइमेट फाइनेंस टार्गेट) निर्धारित करना है — यानि वह राशि जो विकसित देशों द्वारा गरीब देशों को जलवायु परिवर्तन से लड़ने के लिए दी जानी है। भारत की मांग है कि इसे सालाना 1 लाख करोड़ डॉलर तक बढ़ाया जाए। यह दूर की कौड़ी है, क्योंकि विकसित देश पिछले दस वर्षों में 100 अरब डॉलर सालाना प्रदान करने में...

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जैव-विविधता को सहेजने के लिए सामुदायिक भागीदारी से बढ़ेगा संरक्षित क्षेत्र

मोंगबाय हिंदी, 13 अक्टूबर जैव-विविधता पर गहराते संकट को हल करने के लिए दुनिया भर में कई तरह की कोशिशें चल रही हैं। इन्हीं में से एक है  साल 2030 तक धरती के 30 प्रतिशत हिस्से को संरक्षित दायरे में लाने का प्रयास। इसका उद्देश्य धरती से तेजी से लुप्त हो रही प्रजातियों की रक्षा करना और इसके महत्वपूर्ण पारिस्थितिक तंत्र को बचाना है। इसी वैश्विक लक्ष्य को आमतौर पर 30×30...

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देश में 29 में से 2 सूचना आयोग पूरी तरह से निष्क्रिय, सतर्क नागरिक संगठन ने तैयार की रिपोर्ट

सतर्क नागरिक संगठन ने 11 अक्टूबर को जारी की प्रेस विज्ञप्ति कल (12 अक्टूबर,2022) भारत में आरटीआई अधिनियम कार्यान्वयन के 17 साल पूरे हो जाएंगे। कानून में लाखों लोगों को सूचना प्राप्त करने और सरकार को जवाबदेह ठहराने का अधिकार दिया है। आरटीआई कानून के तहत, सूचना आयोग अंतिम अपीलीय प्राधिकरण हैं। सूचना आयोग केंद्रीय स्तर (केंद्रीय सूचना आयोग–सीआईसी)और राज्यों (राज्य सूचना आयोग) में स्थापित किए गए हैं। सतर्क नागरिक संगठन ने...

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भारत के नागरिकों की खाद्य सुरक्षा- प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना और एक देश एक राशन कार्ड योजना- की पड़ताल!

प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना को 44,762 करोड़ रूपए की अतिरिक्त धनराशी के साथ तीन माह के लिए और बढ़ा दिया गया है. यह योजना 1 अक्टूबर, 2022 से 31 दिसम्बर, 2022 तक की अवधि तक यथावत रहेगी. यह योजना का सातवा चरण है. सातवें चरण तक योजना का कुल खर्च 3.45 लाख करोड़ रूपए से बढ़कर 3.91 लाख करोड़ रूपए हो जाएगा. कोविड महामारी के दौरान गरीब और जरूरतमंद लोगों की...

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11 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में कोई नेत्र बैंक नहीं है: आरटीआई

द वायर, 5 अक्टूबर  गोवा और जम्मू कश्मीर समेत 11 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में अभी तक कोई नेत्र बैंक नहीं है. आधिकारिक आंकड़ों से यह जानकारी मिली है. हालांकि, डॉक्टरों का कहना है कि अकेले ऐसे बैंकों का होना उद्देश्य की पूर्ति नहीं करता है क्योंकि विशेष रूप से कोविड-19 महामारी को देखते हुए नेत्र दाताओं की मांग में वृद्धि हुई है. मध्य प्रदेश के एक सामाजिक कार्यकर्ता चंद्र शेखर गौड़...

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