भारत में किसानों की दशा दशकों तक नजरअंदाज किये जाने के कारण अब बुरी तरह बिगड़ चुकी है. सरकार ने खेतिहरों की आय दोगुना करने तथा उपज का उचित दाम दिलाने का वादा किया है, जिसे पूरा करने की दिशा में इस साल कुछ ठोस कोशिश की उम्मीद है. खेती को फायदेमंद पेशा बनाने, फसलों के सही मूल्य दिलाने, कर्ज से राहत आदि की प्राथमिकताएं इस साल हैं. इस संबंध...
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नये साल में विकास की चुनौतियां-- मणीन्द्र नाथ ठाकुर
बिहार और झारखंड जैसे राज्यों के सामने आनेवाले साल में क्या चुनौतियां हैं? विडंबना यह है कि प्राकृतिक संपदा और उपजाऊ जमीन के बावजूद ये राज्य भारत के सबसे गरीब राज्यों में आते हैं. कमाल की बात यह है कि यहां के मानव संसाधन का लोहा दुनिया मानती है. कई विद्वानों के लिए यह एक पहेली है. मुझे याद है कि लंदन स्कूल ऑफ इकोनाॅमिक्स के प्रो जॉन हैरिस ने...
More »खाद्य सुरक्षा पर रस्साकशी-- रविशंकर
अर्जेंटीना के ब्यूनस आयर्स में आयोजित विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) की ग्यारहवीं मंत्रिस्तरीय बैठक बिना किसी नतीजे के समाप्त हो गई। इसमें हिस्सा ले रहे देश खाद्य व कृषि सबसिडी को लेकर आम राय नहीं बना सके। क्योंकि अमेरिका व अन्य विकसित देश बहुपक्षीय व्यापार संस्था के सदस्यों द्वारा सार्वजनिक खाद्य भंडारण के मसले का स्थायी समाधान खोजने की अपनी प्रतिबद्धता से मुकर गए। भारत और उसके साथ खड़े डब्ल्यूटीओ...
More »दक्षिण भारत का अप्पिको आंदोलन -- बाबा मायाराम
हिमालय के चिपको आंदोलन की तरह ही दक्षिण भारत में अप्पिको आंदोलन को काफी मान्यता और ख्याति मिली है। इसे न केवल मीडिया में जगह मिली, बल्कि सरकारी महकमें में काफी सराहना मिली। कर्नाटक सरकार ने जंगल में हरे पेड़ों की कटाई पर पूरी तरह रोक लगा दी, जो आज तक जारी है। हाल ही में मैं 15 सितम्बर को अप्पिको आंदोलन के सूत्रधार पांडुरंग हेगड़े से मिला। सिरसी स्थित...
More »नागरिक बनाम मतदाता नागरिक-- अश्विनी भटनागर
अभी हाल में उत्तर प्रदेश के स्थानीय निकाय चुनावों के बारे में अलग-अलग शहरों और कस्बों के मतदाताओं से बातचीत की थी कि वे अपना वोट किस आधार पर डालेंगे। लगभग सभी मतदाताओं ने कहा था कि वे अपनी पसंदीदा पार्टी को वोट देंगे, किसी व्यक्ति को नहीं और उनका मत उसी पार्टी को जाएगा, जिससे उनको निजी लाभ मिलने की सबसे ज्यादा संभावना है। बातचीत के दौरन यह...
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