अगर किसी कृषि प्रधान देश में कृषि और किसान ही संकट में आ जायें तो देश की दशा-दिशा का अंदाजा लगा पाना मुश्किल नहीं होना चाहिए। भारत एक कृषि प्रधान देश है, यह बात दशकों से पाठ्य पुस्तकों में पढ़ायी जाती रही है, क्योंकि लगभग 80 प्रतिशत तक आबादी जीवनयापन के लिए कृषि और उससे जुड़े काम-धंधों पर निर्भर रही है। इसलिए ग्रामीण भारत को ही असली भारत भी कहा...
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शोध में खुलासाः कानपुर का पानी बच्चों को कर रहा बूढ़ा
कानपुर का पानी बच्चों को समय से पहले ही बूढ़ा बना रहा है। इससे उनके चेहरों की चमक गायब होकर झुर्रियां पड़ रही हैं तो उम्र से पहले ही बाल झड़ने लगते हैं। यही नहीं, कैंसर जैसी गंभीर बीमारियां भी अपनी जकड़ में ले रही हैं। यह खुलासा हुआ है छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय के बायोसाइंस एंड बायोटेक्नोलॉजी (बीएसबीटी) विभाग की एक रिसर्च में। बीएसबीटी विभाग के बायोकेमिस्ट्री विभाग...
More »अवसाद की फैलती विषबेल-- मनीषा सिंह
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने वर्ष 2015 में एक रिपोर्ट जारी करके दुनिया को चेताया था कि डिप्रेशन यानी अवसाद दुनिया की सबसे बड़ी मानसिक बीमारी बनने जा रहा है। अकसर ऐसी स्वास्थ्य-रिपोर्टों और चेतावनियों पर हमारी नजर नहीं जाती, या वक्त के साथ हम उन्हें भूल जाते हैं, पर इनसे जुड़े हादसे साबित करते हैं कि इन चेतावनियों को याद रखना कितना जरूरी है। जैसे, दिल्ली के नजदीक हरियाणा के...
More »इंटरनेट पीढ़ी ही गढ़ेगी नया भविष्य-- इरा सिंघल
इतिहास में जब किसी मोड़ पर मानव सभ्यता को अपने अस्तित्व के लिए एक नई दिशा की जरूरत पड़ी, तब यह युवा पीढ़ी ही है, जिसने बदलाव का बीड़ा उठाया। बतौर युवा इंसान में दो तरह के खास गुण होते हैं। पहला, उसमें इतनी स्फूर्ति या ऊर्जा होती है कि वह कुछ नया कर दिखाए। और दूसरा, तब तक जीवन में उसे इतनी ठोकरें नहीं मिली होतीं कि वह निराश...
More »किताबों से दूर जाती पीढ़ी-- हरिवंश चतुर्वेदी
वसंत पंचमी और सरस्वती पूजा नजदीक है, जिस दिन विद्या की देवी सरस्वती की पूजा के साथ पुस्तकों व कलम की भी पूजा होती है। नए वर्ष के आगमन के साथ पुस्तक मेलों का सिलसिला भी शुरू हो गया है। दिल्ली में विश्व पुस्तक मेले का समापन हो चुका है। अगले दो-तीन महीनों में कोलकाता, मुंबई, बेंगलुरु, चेन्नई, हैदराबाद, पटना और भुवनेश्वर जैसे महानगरों में होने वाले पुस्तक मेलों में...
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