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लोकतंत्र में महिलाएं और मजलूम-- शशिशेखर

अंधी राजनीति ने किस तरह भारत के जागृत समाज को राजनीति से अलग कर दिया है, इसका जीता-जागता उदाहरण उत्तर-पूर्व के तीन राज्यों में हुए चुनाव हैं। मैं यहां किसी पार्टी अथवा नेता की हार-जीत की बजाय उस प्रवृत्ति का विश्लेषण करना चाहूंगा, जिसने ‘गनतंत्र' को पोसा और ‘गणतंत्र' को लगातार नुकसान पहुंचाया। नगालैंड से बात शुरू करता हूं। देश का यह बेहद संवेदनशील प्रांत गरीबी और पिछड़ेपन से जूझता...

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आर्थिक आतंकियों को मिले सजा-- तरुण विजय

नीरव मोदी हों या मेहुल चौकसी, विजय माल्या हों या कोई और, एक ऐसे समय में जब देश किसान, मजदूर, महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण की बात कर रहा है और सीमाओं पर हमारे सैनिक हर दिन खून की होली खेलते हुए मातृ-भूमि की रक्षा कर रहे हैं, उस समय देश से छल कर हजारों करोड़ के घोटाले करनेवाले वस्तुत: आर्थिक अपराधी नहीं, आर्थिक आतंकवादी हैं, जिन्हें वही सजा मिलनी चाहिए,...

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नकली अकल की असल चुनौती-- हरजिंदर

यह हमेशा ही होता रहा है। बदलाव जब दरवाजा खटखटाता है, तो उम्मीदें कम बनती हैं, आशंकाएं ज्यादा घेरती हैं। उम्मीद बांधने वाले कम होते हैं, परेशान होने वाले ज्यादा। हालांकि यह कहना भी सही नहीं है कि कृत्रिम बुद्धि यानी आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस या एआई हमारा दरवाजा खटखटा रही है। दरअसल, वह बहुत चुपके से हमारे जीवन में प्रवेश कर चुकी है। यह उसका शैशव काल है, इसलिए फिलहाल हम...

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त्रिपुरा : 'माणिक' के बदले 'हीरा'--- रविभूषण

विश्व के किसी भी नेता की तुलना में नरेंद्र मोदी शब्दाडंबर, शब्दजाल, शब्द चातुर्य और श्लेष-प्रयोग में अकेले और अनोखे हैं. शब्द क्रीड़ा उन्हें प्रिय है और उनकी वाक्पटुता और शब्दाभिप्राय को बदलने की क्षमता-दक्षता का अन्य कोई उदाहरण नहीं है. 'माणिक' और 'हीरा' दोनों नवरत्न हैं, पर त्रिपुरा विधानसभा की चुनाव-रैली में उन्होंने त्रिपुरा राज्य को 'माणिक' के स्थान पर 'हीरा' की आवश्यकता बतायी. उनके अनुसार, त्रिपुरा की जनता...

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अपनी जड़ों को खोजते वे भारतवंशी- बद्री नारायण

हिंदी पट्टी ने ब्रिटिश उपनिवेश काल में अनेक मुसीबतें झेलीं। इनकी दो मुसीबतें अत्यंत महत्वपूर्ण रही हैं, जिन्होंने मिलकर हिंदी क्षेत्र का वर्तमान रचा है। एक तो 1857 का विद्रोह, दूसरा गिरमिटिया विस्थापन, जिसे प्रवास, उत्प्रवास कुछ भी कहा जा सकता है। भोजपुरी के प्रसिद्ध नाटककार भिखारी ठाकुर ने इसे बिदेसिया हो जाना भी कहा है। 19वीं सदी में दास प्रथा की समाप्ति के बाद दुनिया में आक्रामक रूप से...

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