नरेंद्र मोदी के बाल विवाह के मुद्दे की वजह से इस सामाजिक बुराई के मद्देनजर हमारे राजनीतिक वर्ग का अस्पष्ट रुख एक बार फिर सामने आया है। लेकिन भारतीय जनता पार्टी के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार के चारों ओर फैले चुनावी कोलाहल के माहौल में बाल विवाह पर सार्थक बहस का अभाव काफी खलने वाला है। भारत में राजनीतिक दल कन्याओं के अधिकारों पर जोर-शोर से बातें करते हैं। भाजपा...
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गुजरात इस मामले में भी निकला फिसड्डी
गुजरात है इस मामले में पिछड़ा गुजरात का विकास मॉडल भले ही चुनावी मैदान में नरेंद्र मोदी का अहम हथियार बना हुआ है, लेकिन किसानों को आपदा की मार से बचाने के मामले में गुजरात का प्रदर्शन बेहद फीका है। कृषि मंत्रालय की संशोधित राष्ट्रीय कृषि बीमा योजना को लागू करने में गुजरात पीछे रह गया है। गुजरात के अलावा भाजपा शासित छत्तीसगढ़ की स्थिति भी इस योजना के क्रियान्वयन में काफी...
More »सेनेटरी नैपकिन योजना पर चुनाव आचार संहिता की मार
पटना: बिहार में कक्षा सात से 12वीं तक पढ़नेवाली छात्राओं को सेनेटरी नैपकिन देने की योजना एक अप्रैल से शुरू नहीं हो सकेगी. ऐसा लोकसभा चुनाव के कारण हुआ है. अभी तक इसके लिए टेंडर भी जारी नहीं किया गया है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने फरवरी में एक अप्रैल से इस योजना को लागू करने की घोषणा की थी. इसके लिए बजट में 32.76 करोड़ रुपये का प्रावधान है. जिलों से मंगाया...
More »बातों और चर्चाओं की राजनीति - बद्रीनारायण
उत्तर प्रदेश और बिहार के गांवों में नानी, दादी रात में सोते वक्त अपने बच्चों को जब कहानी सुनाया करती थीं, तब कहानी के अंत में समापन वाक्य की तरह एक खास बात कही जाती थी। वह वाक्य होता था- न कहवइया के दोष, न सुनवइया के दोष, जे कहनी उपारजे ओकर दोष। यानी न कहने वाला का दोष है, न सुनने वाले का, जो इन कथाओं को रचता है, उसका...
More »'हमारे सामने अवसर बड़ा, झोली छोटी'- योगेन्द्र यादव
डॉ योगेंद्र यादव जाने-माने चुनावी विश्लेषक रहे हैं. देश के कई जनांदोलनों में उन्होंने सक्रिय भागीदारी की है. आम आदमी पार्टी के एक प्रमुख चेहरे के रूप में वह देश के जनांदोलनों को एक मंच पर लाकर अपनी पार्टी को राष्ट्रीय स्वरूप देने की कोशिश में जुटे हैं. पेश है ‘आप’ की राष्ट्रीय राजनीति, रणनीति और लोकसभा चुनाव में उसके लिए संभावनाओं पर डॉ योगेंद्र यादव से प्रभात खबर के...
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