-डाउन टू अर्थ, जलवायु में आ रहे बदलावों और जैव विविधता के घटने के कारण पहाड़ी क्षेत्रों में खाने की कमी लगातार बढ़ती जा रही है। यह जानकारी हाल ही में एफएओ द्वारा जारी एक नई रिपोर्ट 'वल्नेरेबिलिटी ऑफ माउंटेन पीपल टू फूड इन्सेक्युरिटी' में सामने आई है। रिपोर्ट के अनुसार हालांकि दुनिया की ज्यादातर सबसे महत्वपूर्ण फसलें और मवेशियों की प्रजातियां इन पहाड़ी क्षेत्रों में ही पाई जाती हैं, इसके...
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किसान आंदोलन: पंजाब की खेती गेहूं, धान और MSP से आबाद हो रही है या बर्बाद?
-बीबीसी, पंजाब के ज़्यादातर किसान गेहूं और धान की खेती करते हैं. इन दोनों फसलों पर एमएसपी मिलती है और सरकारी ख़रीद की गारंटी भी. जब फसल से कमाई और ख़रीद दोनों सुनिश्चित हो तो भला तीसरी फसल के पीछे किसान क्यों भागेगा? लेकिन इन दोनों फसलों की कामयाबी ने उसके सामने ऐसा चक्रव्यूह बना दिया है कि वो चाह कर भी इससे बाहर नहीं निकल पा रहा. दिल्ली के तमाम बॉर्डर पर...
More »हाथों से मैला उठाने की कुप्रथा यहाँ पीढ़ियों से चली आ रही, इस दंष से अभी तक आजाद नहीं हुई ये महिलाएं
-गांव कनेक्शन, बांस की डलिया बगल में दबाकर नीले रंग की छींटदार साड़ी पहने शोभारानी रोजमर्रा की तरह आज भी सुबह 10 बजे मैला उठाने के लिए गाँव की गलियों में निकल पड़ी थीं। नाक पर साड़ी का पल्लू बांधकर ये मैला उठा रहीं थीं। शोभारानी अपने गांव में ही उन घरों से मैला (मानव मल) उठाने जा रही थीं, जिनके घरों में या तो शौचालय नहीं हैं या फिर वो...
More »जॉब कार्ड (JC) के लिए आवेदन करने वाले 45.6 लाख परिवारों को साल के आखिर तक जारी नहीं हुआ जॉब कार्ड
पीपल्स एक्शन फ़ॉर एम्प्लॉयमेंट गारंटी (PAEG) का नवीनतम ट्रैकर देश में MGNREGA के कार्यान्वयन की स्थिति पर केंद्रित है. ट्रैकर की मुख्य विशेषताएं: 1. इस साल 1.3 करोड़ जॉब कार्ड जारी किए गए. 2. 13 प्रतिशत की मांग पूरी नहीं हो सकी. वर्ष में किसी समय 97 लाख परिवारों की मांग पूरी नहीं की गईं. 3. पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष 1 करोड़ से अधिक परिवारों ने नरेगा में काम किया है, लेकिन इस वर्ष प्रति परिवार...
More »आर्टिकल 19: लड़ते-खपते किसान पर क्यों चुप हैं अपने-अपने मोहल्लों के भगवान?
-जनपथ, ऑस्ट्रेलिया में भारत के एक मुकाबले के बाद कप्तान विराट कोहली ड्रेसिंग रूम की तरफ जा रहे होते हैं। दर्शक दीर्घा में बैठी एक महिला जोर से चिल्लाती है- “विराट कोहली तुम कहां हो? किसान एकता जिंदाबाद.. भारतीय किसानों का समर्थन करो.. वर्ना तुम टॉयलेट पेपर से ज्यादा कुछ नहीं..।” इस टिप्पणी को सुनने के बाद किसी की भी अंतरात्मा जाग उठेगी। वह महिला भारतीय मूल की एक सामान्य महिला थी,...
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