देश की राजधानी में हाल ही में हुए ऑटो एक्स्पो में जिस तरह से आकर्षक कारों के नए-नए मॉडल लॉन्च हुए, उन्हें देखकर किसी को भी यह गलतफहमी हो सकती थी कि भारत चौड़ी व चमचमाती सड़कों-राजमार्गों का देश है, जहां पर ट्रैफिक की कोई दिक्कत ही नहीं है और जहां गाड़ी चलाना एक सुखद संतोष का विषय है। जबकि हकीकत इससे ठीक उलट है। वास्तव में भारत में सड़कों के...
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कब कमर कसेगी सरकार-- शंकर अय्यर
आप इसे बजट राग कह सकते हैं, जो पैसे के मूल मंत्र पर केंद्रित है। बजट के मौसम में सरकारी विचार कक्ष में पैसे के बारे में काफी चर्चा होती है। इस बार भी चर्चा हो रही है कि सरकार को राजकोषीय घाटे को नियंत्रित करना चाहिए या उसकी चिंता छोड़ देनी चाहिए। चर्चा इस पर भी है कि किसे दर्द सहना चाहिए और किसे फायदा होगा। विकास का सिद्धांत...
More »कितने स्मार्ट हो पायेंगे हमारे शहर-- नारायण कृष्णमूर्ति
टेक्नोलॉजी, खासकर इंटरनेट ने हमारे कामकाज का रवैया बदल दिया है। अब घर बैठे स्मार्ट ग्रिड के जरिये निर्बाध इंटरनेट, गैस, बिजली और पानी प्राप्त करने की कल्पना सपना नहीं है। इस लिहाज से स्मार्ट सिटी का स्वागत करना चाहिए, जहां हर कोई एक-दूसरे से जुड़ा रहेगा और तमाम नागरिक सुविधाएं हासिल कर पाएगा। सोच यह है कि इन स्मार्ट नगरों को ऐसे बनाया जाए कि वे शिक्षा, रोजगार और...
More »खरीफ मौसम में खेती-किसानी करने जाएंगे कृषि छात्र
रायपुर। इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के स्टूडेंट्स अब रबी के बजाय खरीफ मौसम में खेती-बाड़ी कर किसानों के गुण सीखेंगे। यह फैसला विवि के बोर्ड ऑफ काउंसिल द्वारा लिया गया है। इसी के तहत इस वर्ष पाटन ब्लॉक के तर्रा गांव में अंतिम वर्ष के विद्यार्थियों ने ग्रुप बनाकर खेत में काम किया और गांव में कृषि प्रदर्शनी का आयोजन भी किया। रावे प्रोग्राम के अंतर्गत अंतिम वर्ष के कृषि विद्यार्थियों...
More »कमाई के कंगूरे और गरीबी का गर्त- धर्मेन्द्र पाल सिंह
स्विट्जरलैंड के बर्फीले नगर दावोस में वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम की बैठक की पूर्व संध्या पर ब्रिटेन की संस्था ऑक्सफाम ने एक रिपोर्ट जारी की, जिससे पूरी दुनिया में हंगामा मच गया। ‘एन इकोनॉमी फॉर दी 1%' नामक इस रिपोर्ट में बताया गया है कि आज महज बासठ खरबपतियों की संपत्ति 17.6 खरब डॉलर (1187.64 खरब रुपए) है, जो विश्व की आधी आबादी की दौलत के बराबर है। एक प्रतिशत अमीरों...
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