आर्थिक उदारीकरण के दौर में जिन राज्यों के आर्थिक विकास की दर तेज रही और जिन्हें समय-समय पर एक मॉडल की तरह पेश किया गया, वहां अब सामाजिक- आर्थिक स्थिति विस्फोटक हो रही है। पिछले एक वर्ष में हरियाणा के जाटों, गुजरात के पटेलों, महाराष्ट्र की मराठा जातियों और आंध्र प्रदेश में कापू जाति के लोगों ने खुद को अन्य पिछड़ी जातियों में शामिल किए जाने की मांग को लेकर...
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'आधार' पर राज्यसभा की उपेक्षा से संसदीय व्यवस्था को खतरा
लोकसभा में ‘आधार' को मनी बिल के तौर पर पास करवाने के बाद राज्यसभा में बिल पेश किया गया है जिससे यह बिल संसद में पारित हो ही जाएगा। इस असंवैधानिक कदम को उठाने के लिए सरकार क्यों मजबूर हुई जो और भी कई वजहों से गैरकानूनी है? राज्यसभा की उपेक्षा से संविधान तथा संसदीय व्यवस्था को खतरा - मोदी सरकार का राज्यसभा में बहुमत नहीं है जिसकी वजह से कई...
More »संसद में स्त्री होने के मायने- सुजाता
एक मर्दाना संसद में एक स्त्री की एेतिहासिक, नाटकीय, भावुक हुंकार से देश कुछ वक्त सकते में आ गया. संसद में मौजूद नये-पुराने खिलाड़ियों को यह दांव स्तब्ध कर गया और जनता को अभिभूत. माननीय मंत्री स्मृति जुबिन ईरानी की इस बाजी से खेल पलटा तो नहीं, तथ्यात्मक गलतियां भी बाद में सामने आयीं. लेकिन, संसद में स्त्री राजनेता के व्यवहार को लेकर जेहन में बहुत सारे सवाल जरूर उठे....
More »गांव से निकलेगा विकास का हाइवे
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने किसानों को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने की कोशिश की है. यह कोशिश सोमवार को लोकसभा में पेश वर्ष 2016-17 के बजट में दिखती भी है. किसानों से जुड़ी अनेक योजनाओं के लिए सरकार ने अपनी झोली खोल दी है. किसानों का ऋण कम करने के लिए 15 हजार करोड़ का एक कोष बनाने की घोषण एक अच्छी पहल है. पिछले दो-तीन साल से कम...
More »दिशा तो सही लेकिन कुछ जरूरी बातों की अनदेखी - डॉ. भरत झुनझुनवाला
बजट में कई अच्छी घोषणाएं की गई हैं जैसे ग्रामीण विद्युतीकरण एवं सड़कों में निवेश में वृद्धि, गरीबों को गैस सिलेंडर उपलब्ध कराना, जिले स्तर पर डायलिसिस की व्यवस्था करना, नए कर्मियों के लिए कंपनियों को प्रॉविडेंट फंड में अनुदान देना, हाईवे, रेल, पोर्ट एवं एयरपोर्ट में निवेश बढ़ाना इत्यादि। वित्त मंत्री ने इनकम टैक्स में छूट दी है, जबकि एक्साइज ड्यूटी में वृद्धि की है। यह कदम सही दिशा...
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