1. झारखंड की स्थापना का एक दशक पूरा हुआ। झारखंड के बारे में आपका मूल्यांकन क्या कहता है ? झारखंड की जनता ने अलग राज्य बनाने के लिए जब लडाई ठानी तो आस यह लगी थी कि राज्य बना तो उन्हें अपनी जिन्दगी संवारने के बेहतर मौके मिलेंगे।झारखंड की जनता के लिए यह एक तरह से मुक्ति-यज्ञ था।लेकिन हुआ इसके उलट, झारखंड की स्थापना से ताकत उन्हीं की बढ़ी जिनसे जनता...
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पंचायत का फरमानः पूरा परिवार समाज से बाहर
जोधपुर. महामंदिर इलाके में जातीय पंचों के कथित फरमान से पीड़ित एक परिवार ने सामूहिक आत्महत्या की चेतावनी दी है। परिवार के मुखिया ने मुख्यमंत्री को भेजे एक पत्र की प्रति मीडियावालों को भी दी है। इसमें उसने जुर्मो के बारे में बताया गया है। शिवपुरी निवासी राणाराम ने कहा है कि उसके पुत्र व पुत्रवधू में चल रही पारिवारिक अनबन पर समाज में पंचायती हुई। समाज से बहिष्कृत व कानूनी...
More »बी.पी.एल. शौचालय के नाम पर प्रधानों व सचिवों ने डकारे अठहत्तर लाख रूपये वर्ष २००७-०८ में
संडीला विकास खण्ड, जनपद-हरदोई में ९७ राजस्व गांव में बी.पी.एल. व ए.पी.एल. परिवारों के लिए व्यक्तिगत परिवारों को शौचालयों का निर्माण हुआ | यह निर्माण वर्ष २००७ व २००८ में सम्पूर्ण स्वच्छता अभियान के तहत यह कार्य ग्राम पंचायत के सचिव व प्रधानों ने करवाया | इस कार्य के लिए सरकार द्वारा पन्द्रह सौ रूपये का अनुदान बी.पी.एल. परिवारों को दिया जाना था और ए.पी.एल. परिवारों को भी पन्द्रह सौ रूपये का...
More »सीएम ने उपलब्धियां गिनाई, गवर्नर ने जमीन दिखाई
देहरादून, जागरण संवाददाता। राज्य स्थापना व्याख्यानमाला के तहत टाटा समूह के चेयरमैन रतन नवल टाटा के व्याख्यान से पूर्व राज्य के मुखिया डा. रमेश पोखरियाल निशंक ने दस वर्ष की अल्प आयु में राज्य द्वारा हासिल की गई उपलब्धियां गिनाई, तो राज्यपाल माग्र्रेट आल्वा ने इस लंबी अवधि के बाद भी मूलभूत सुविधाओं से जुड़े जनहित के कई अनसुलझे सवाल उठाकर सभी को जमीनी हकीकत से रूबरू कराया। राज्य स्थापना व्याख्यानमाला के दौरान टाटा...
More »मनरेगा में न्यूनतम मजदूरी का गड़बड़झाला
क्या मनरेगा को जस का तस छोड़ा जा सकता है? मनरेगा के मामले में नागरिक-संगठन आखिर इतना हल्ला किस बात पर मचा रहे हैं? क्या ग्रामीण इलाके के सामाजिक कार्यकर्ता बहुत ज्यादा की मांग कर रहे हैं? क्या यूपीए- II वह सारा कुछ वापस लेने पर तुली है जो यूपीए- I ने चुनावों से पहले दिया था? चुनौती सामने है, मनरेगा गहरे संकट में है। अरुणा राय और ज्यां द्रेज सरीखे...
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