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अब नई टेलीकॉम नीति लाने का वक्त-- राजीव चंद्रशेखर

देश में दूरसंचार के क्षेत्र में सुधार लागू होने का पच्चीसवां साल चल रहा है, जो अगले साल पूरा होगा। आधुनिक भारत के इतिहास में ये सुधार मील का महत्वपूर्ण पत्थर है। 1993 में ही चार प्रमुख महानगरों में निजी कंपनियों को सेल्यूलर टेलीफोनिंग के लाइसेंस दिए गए थे। यह वह समय था जब फोन कनेक्शन की वेटिंग लिस्ट 3-4 साल की होती थी और फोन से जुड़ी शब्दावली में...

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बाढ़ की चपेट में आधा भारत,कुल 140 मरे

उत्तर भारत, असम, बंगाल, यूपी-बिहार आधा हिन्दुस्तान बाढ़ की चपेट में है। देश के 58 जिले बाढ़ से प्रभावित हैं। इस बाढ़ के कहर ने अब तक कुल 140 लोगों की जान ले ली है। बाढ़ के पानी से कई लाख लोग प्रभावित हैं, हजारों गांव पानी में डूब गए हैं। हालात ऐसे हैं कि लोग गांव छोड़कर जाने पर मजबूर हैं। गुरुवार को केंद्र ने देश में आई बाढ़ की...

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आधार के तर्कों का किंतु-परंतु--- आर. सुकुमार

ऐसे समय में, जब आधार से संबद्ध तीन मामले उस संविधान पीठ के समक्ष सुनवाई के लिए विचाराधीन हैं, जिसका अभी तक गठन ही नहीं हुआ, तब यह लाजिमी है कि हम आधार से जुड़े कुछ मूलभूत सवालों पर विचार करें। इस बात से इनकार करने का कोई आधार नहीं है कि इससे जुड़ी, खासतौर से निजता और सुरक्षा के बिंदु अहम हैं। कहने का आशय यह कि जरूरत...

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बारिश से देश हुआ बेहाल, अब तक 57 लोगों की मौत

नई दिल्ली। मानसून के चलते हो रही भारी बारिश देशभर में सितम ढा रही है। भारी बारिश के चलते उत्तर भारत के कई राज्यों में आम जिंदगी प्रभावित हुई है। जहां उत्तराखंड में तीर्थ यात्रियों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है वहीं असम में बाढ़ से जिंदगी मुहाल है। बारिश के चलते असम समेत देश के अलग-अलग राज्यों में अब तक 57 लोगों की मौत हो गई है।...

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नदी पुनर्जीवन ही विकल्प-- सुरेश उपाध्याय

माना जाता है कि सभ्यताओं का विकास नदियों के किनारों पर ही हुआ है। लेकिन हम जिस दौर में जी रहे हैं और विकास की जिस अंधाधुंध दौड़ में शामिल हो गए हैं, उसने सबसे पहला हमला हमारी नदियों पर ही किया है। एक ओर नदियों को प्रदूषित किया जा रहा है तो दूसरी ओर कई नदियां विलुप्ति के कगार पर हैं या विलुप्त हो चुकी हैं। नदियों के शुद्धीकरण...

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