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सबके लिए पैसा है, पर किसानों के लिए नहीं - देविंदर शर्मा

मानसून खत्म हो चुका है। 14 प्रतिशत कम बारिश हुई है और देश में फसल वाले ऐसे करीब 39 फीसद इलाके हैं, जहां बिलकुल सूखा है। उम्मीद थी कि रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन किसानों के लिए वित्तीय लाभों और ऋण भुगतानों में छूट की श्रंखला की घोषणा करेंगे। इसकी जगह रघुराम राजन ने पिछले हफ्ते व्यावसायिक बैंकों के उधार देने की ब्याज दरों में काफी कटौती करने वाली...

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पर्यावरण के नजरिए से आहार- रमेश कुमार दुबे

अगर गोमांस (बीफ) के बढ़ते इस्तेमाल को पर्यावरण की दृष्टि से देखा जाए तो इतना विवाद न हो। गहराई से देखा जाए तो आज जलवायु परितर्वन, वैश्विक तापवृद्धि, भुखमरी, नई-नई बीमारियां प्रत्यक्ष रूप से मांसाहार के बढ़ते चलन से जुड़ी हुई हैं। संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (यूएनइपी) के मुताबिक एक मांस-बर्गर तैयार करने में तीन किलोग्राम कार्बन उत्सर्जित होता है। ऐसे में धरती की रक्षा के लिए मांस की बढ़ती...

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गांवों में शहरों से ज्यादा महंगाईः एचएसबीसी

नई दिल्ली। यह जानकर हैरानी होगी कि शहरी इलाकों के मुकाबले ग्रामीण इलाकों में महंगाई ज्यादा है। खुदरा कीमतों के हिसाब से ग्रामीण इलाकों में महंगाई दर 6.5 फीसदी है, जबकि शहरी इलाकों में केवल 4.5 फीसदी। देश में फिलहाल औसत महंगाई दर 5.5 फीसदी है, जो रिजर्व बैंक के 6 फीसदी लक्ष्य से कम है। लेकिन, ग्रामीण इलाकों में महंगाई रिजर्व बैंक के लक्ष्य से ऊपर पहुंच गई है। ग्लोबल...

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चीन से ऊंची रहेगी भारत की आर्थिक वृद्धि दर : आइएमएफ

वाशिंगटन : अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) का मानना है कि 2016 में भारत की आर्थिक वृद्धि दर अन्य प्रमुख उदीयमान अर्थव्यवस्थाओं से अधिक रहेगी. संगठन ने अगले साल भारत की वृद्धि दर 7.5 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया है जबकि इस दौरान चीन की वृद्धि दर 6.3 प्रतिशत रहना अपेक्षित है. आईएमएफ ने यहां जारी नवीनतम विश्व आर्थिक परिदृश्य रपट (अपडेट) में यह अनुमान लगाया है. इसके अनुसार,‘ भारत की...

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विकास की नीतियां बदलने का वक्त - यशवंत सिन्‍हा

भारत में घोषित आर्थिक सुधारों का इतिहास 24 साल पुराना है, लेकिन इन 24 वर्षों में भी सुधारों को लेकर जो विवाद हैं, वे अभी तक समाप्त नहीं हुए हैं। आज भी भूमि अधिग्रहण, श्रम कानून, जीएसटी, डायरेक्ट टैक्स (जैसे गार अथवा पिछली तिथि से लागू होने वाले कर) विदेशी पूंजी निवेश इत्यादि अनेक ऐसे मुद्दे हैं, जिन पर आज भी कोई सहमति नहीं बन पाई है। जब डॉ. मनमोहन...

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