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सड़कों पर पलते कल के सपने : हर्ष मंदर

बीसवीं सदी के शुरुआती दशकों में भारत पर राज कर रही औपनिवेशिक ब्रिटिश सरकार ने सबसे पहले यह स्वीकारा था कि अनाथ और निराश्रित बच्चों व किशोरों की देखभाल करना सरकार की कानूनी जिम्मेदारी है। लेकिन भारत को लोकतांत्रिक स्वाधीनता मिलने के छह दशक बीतने के बावजूद इस तरह के बच्चों और किशोरों के हित में अधिक से अधिक यही किया जा सका है कि उन्हें कारागृह जैसी राज्यशासी संस्थाओं में भेज...

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बहू और नाती पोतों ने किया पढ़ने को प्रेरित

कांकेर। 18 मार्च को साक्षर भारत कार्यक्रम के तहत महापरीक्षा का आयोजन गांव गांव में किया गया। बड़ी संख्या में महिला पुरूषों ने उत्साहपूर्वक परीक्षा दिलाई। परीक्षा में उत्र्तीण होने पर साक्षर होने का प्रमाण पत्र प्रदान किया जाएगा जिसके बाद साक्षर आगे की कक्षाओं में शामिल हो सकेंगे। प्राय: केंद्रों में बड़ी संख्या में लोगो ने परीक्षा दिलाई। केंद्रों में परीक्षार्थी समय से पूर्व ही पहुंच गए थे। साक्षरों को...

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कोई गुलाम योद्धा यह ना पूछे- क्यों युद्ध हारे( दैनिक जागरण, रांची संस्करण)

बीहड़ों में बागी होते हैं, डाकू तो पार्लियामेंट में होते हैं। फिल्म पान सिंह तोमर का यह डायलॉग सबकी जुबान पर है। आठ बार नेशनल चैंपियन रह चुके एथलीट पान सिंह तोमर सरकारी व्यवस्था में घिसकर अंतत: हथियार उठा लेता है और चंबल के बीहड़ों का कुख्यात डकैत बन जाता है। पलामू में 2001 में एक नक्सली श्याम बिहारी उर्फ विनय जी उर्फ सलीम ने आत्मसमर्पण किया था। उसे...

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पत्थर पर दूध और धान- सहकारिता और नई तकनीक का कमाल

पश्चिमी घाट कहलाने वाली सह्याद्रि पर्वतऋखंला के इलाके में एक गांव है खंबोली। और इस गांव के एक किसान विश्वनाथ की धनखेतियां सुनहली धूप में सोने की तरह चमचमा रही हैं। धनखेतियों के चारो तरफ अमराई है, अमराइयों से ठंढी बयार बहती है, धनखेतियों को आकर दुलार देती है। यों तो भारत के ज्यादातर किसानों की खेती सिंचाई के लिए बारिश के पानी पर निर्भर है लेकिन इसके उलट विश्वनाथ ने धान...

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बिहारी कारीगरों ने बनायी कंपनी

पटना : मुंबई की गंदी बस्ती धारावी में पांच सौ वर्गफुट के छोटे कमरे में बैग बनानेवाले सर्फुद्दीन अब बिहार लौटने की तैयारी कर रहे हैं. बिहार के बदले हालात से अपनी सरजमीं पर लौटने की चाहत वहां के 600 अन्य उद्यमियों और लगभग चार हजार कारीगरों को भी है. ज्यादातर कारीगर लघु, मध्यम व सूक्ष्म उद्यमों में काम करते हैं. सर्फुद्दीन के अलावा दरभंगा के अहसान अहसन व इफ्तखार अहमद भी...

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