जनसत्ता 25 मई, 2012: यह रास्ता जंगल की तरफ जाता जरूर है, लेकिन जंगल का मतलब वहां सिर्फ जानवरों का निवास नहीं होता। जानवर तो आपके आधुनिक शहर में हैं, जहां ताकत का अहसास होता है। जो ताकतवर है उसके सामने समूची व्यवस्था नतमस्तक है। लेकिन जंगल में तो ऐसा नहीं है। यहां जीने का अहसास है। सामूहिक संघर्ष है। एक दूसरे के मुश्किल हालात को समझने का संयम है। फिर न्याय से लेकर...
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गांवों में कैसे बनेंगे घर, नीति ही नहीं
रांची : गांवों में किसी भी तरह का निर्माण सरकार की नजर में अवैध है. यहां तक की सरकार ग्रामीणों को गांवों में घर बनाने की स्वीकृति भी नहीं देती. सिर्फ उन्हीं इलाकों में नक्शों की स्वीकृति दी जाती है, जो नगर निकाय के क्षेत्र में पड़ते हैं. पिछले तीन सालों में सरकार ग्रामीण इलाकों और कस्बों के लिए नीति नहीं बना सकी. इसका सीधा असर विकास कार्यो पर पड़ रहा...
More »नक्सली नहीं आम आदिवासी मारे गए: ग्रामीण
छत्तीसगढ़ में पिछले हफ्ते सुरक्षा बलों के साथ कथित मुठभेड़ों में 19 लोगों के मारे जाने के मामले पर गंभीर विवाद उत्पन्न हो गया है. ग्रामीणों और सामाजिक कार्यकर्ताओं का दावा है कि 28 जून की रात को छत्तीसगढ़ में हुए कथित मुठभेड़ों में मारे गए ज्यादातर लोग आम आदिवासी थे माओवादी नहीं, जबकि राज्य के मुख्यमंत्री रमन सिंह और सीआरपीएफ ने इन दावों को सिरे से खारिज किया है. इससे जुड़ी...
More »हर दस मिनट में एक मां की मौत
संयुक्त राष्ट्र की ओर से जारी आंकड़ों में कहा गया है कि भारत में 2010 में मां बनने के दौरान 56,000 महिलाओं की मौत हुई, जिसका मतलब है कि हर घंटे में छह और हर दस मिनट में ऐसी एक मौत हुई. इस वक्त भारत में प्रति एक लाख जन्मों पर मातृत्व मृत्यु दर 212 है जबकि भारत को सहस्राब्दि विकास लक्ष्य के तहत इस आंकड़े को घटाकर 109 तक लाना...
More »हजारों भागीरथ बनाए कलेक्टर उमराव ने- पवन देवलिया की रिपोर्ट
भोपाल (एमपी मिरर)। एक भागीरथ को भारतीय इतिहास में इसलिए जाना जाता है कि वे गंगा को इस धरती पर लाए थे। इस पुण्य कार्य को सफल बनाने के लिए भागीरथ ने अपना सारा जीवन खपा दिया था। इस पुण्य कार्य को करने के बाद उनके साथ दो चीजें हमेशा के लिए जुड़ गईं। एक तो गंगा को धरती पर लाने के बाद उनका नाम गंगाजी के साथ हमेशा के लिए जुड़ गया। इसके...
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