पटना : चीनी उत्पादन में बिहार फिर शीर्ष पर होगा. राज्य सरकार की पहल व किसानों के हौसले से यह उम्मीद जगी है. 1950-60 के दशक में देश में कुल खपत का 60 फीसदी चीनी का उत्पादन यहीं होता था. आज हम अपनी जरूरत को भी पूरा नहीं कर पाते. राज्य में सालाना आठ लाख टन चीनी की खपत है, जबकि उत्पादन चार लाख टन ही है. लेकिन, अब स्थिति बदलने लगी...
More »SEARCH RESULT
कृषि उत्पादन नहीं, मूल्य बढ़ायें- भरत झुनझुनवाला
अर्थव्यवस्था में तीव्र विकास के बावजूद कृषि और किसानों की स्थिति में सुधार नहीं हो रहा है. पिछले साठ वर्षो में प्रत्येक सरकार ने कृषि में सुधार का संकल्प लिया है, किंतु स्थिति बिगड़ती गयी है, जैसा कि आत्महत्या की बढ़ती संख्या से अनुमान लगता है. मूल कारण यह है कि सरकार का ध्यान कृषि उत्पादन में वृद्धि की ओर ज्यादा रहा है, मूल्यों में वृद्धि की ओर कम. मान्यता है कि...
More »सबसे बड़ी चाय दुकान की ताकत- एम जे अकबर
अगर इंटरनेट की सेंसरशिप तकनीकी पहलू से अधिक कुछ नहीं है, तोयह पहले ही हो गया होता. एक लोकतांत्रिक सरकार को गद्दाफ़ी या चीनी कम्युनिस्टपार्टी की तरह मनमानी करने का अधिकार नहीं होता है. ऐसे में इसके लिए अव्यावहारिक तर्को का प्रयोग करना पड़ता है. लेकिन भारत सरकार को यह जल्द ही पता लग जायेगा कि इंटरनेट की आवाज कोआसानी से नहीं दबायाजा सकता है. प्रवक्ता अपनी नहीं आकाओं की भाषा बोलते...
More »मिड डे मील से जायका गायब-मोहम्मद हारून
दीदी कैसे खाएं इस खाने को। बाखली में चना नहीं, दलिया में मीठा कम, पुलाव में सब्जी नहीं, खिचड़ी में दाल नहीं। कुछ इस तरह का वार्तालाप आए दिन होता है हथीन के सरकारी प्राथमिक स्कूलों में बंटने वाले मिड डे मील खाने बैठे विद्यार्थियों में। सरकार इस योजना पर प्रति वर्ष करोड़ों रुपये खर्च करती है। स्कूलों में दिनों के हिसाब से मेन्यू तय किए गए हैं। तय मेन्यू...
More »नाम के नागरिक- बृजेश सिंह (तहलका हिन्दी)
वहां से निकलना आसान नहीं है और वहां रहना तो और भी मुश्किल. सरकारी कुनीतियों के चलते अलीराजपुर में कुछ टापुऑं पर दिन बिता रहे सरदार सरोवर बांध के विस्थापितों की जिंदगी में उम्मीद को छोड़कर सब कुछ है. गरीबी, भूख, कुपोषण, बेरोजगारी और इन सबसे उपजी उनकी लाचारी की क्या कोई सुध लेगा? बृजेश सिंह की रिपोर्ट यह कहानी मध्य प्रदेश के कुछ ऐसे गांवों की है जिनके रहवासी युद्ध...
More »