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किसान संगठनों को नहीं मिल मालिकों पर भरोसा

रुड़की (हरिद्वार)। किसान संगठनों को मिल मालिकों पर भरोसा नहीं है। किसान नेताओं का कहना है कि अपनी गरज के लिए मिल मालिक गन्ना पेराई करने को कोई भी रेट देने की हामी भर सकते हैं, लेकिन बाद में वह भुगतान के समय किसान को कायदे-कानून बताकर अधर में छोड़ देंगे। पिछले कुछ सीजन ऐसे गुजरे कि मिल मालिकों व क्षेत्र के किसानों के संबंधों में खटास उत्पन्न हुई है।...

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कच्ची चीनी आयात करने की नौबत आखिर आई क्यों?

लखनऊ। यूपी सरकार ने कच्ची चीनी के आयात पर रोक भले ही लगा दी हो किन्तु यह सच है कि उसे न तो इसके आयात के लाइसेंस देने का अधिकार है और न ही इसपर रोक लगाने का। चीनी के आयात पर लगने वाले शुल्क को घटाने-बढ़ाने का अधिकार भी राज्य सरकार को नहीं है। बावजूद इसके कानून-व्यवस्था के मद्देनजर उसे चीनी मिल मालिकों को आयात रोकने का सुझाव देना...

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केंद्र के एफआरपी को यूपी का ठेंगा

लखनऊ। राज्य सरकार ने केंद्र द्वारा इसी वर्ष लागू एफआरपी (उचित एवं लाभकारी मूल्य) प्रणाली को ठेंगा दिखाते हुए प्रदेश की चीनी मिलों को निर्देश दिया है कि वे किसानों को राज्य सरकार द्वारा निर्धारित एसएपी (राज्य परामर्शित मूल्य) के मुताबिक पूरे गन्ना मूल्य का भुगतान करें। सरकार ने चीनी मिलों को कच्ची चीनी आयात न करने का सुझाव दिया है, जिसे मिलों ने स्वीकार करके आयात प्रक्रिया रोक दी...

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कम मिठास से होगा यूपी का गन्ना राख!

उत्तर प्रदेश के गन्ना किसान राज्य में गन्ने के राज्य समर्थित मूल्य (एसएपी) के खिलाफ आंदोलन चलाने की तैयारी कर रहे हैं। किसानों का कहना है कि पेराई सत्र 2009-10 के लिए वे इतनी 'कम कीमत' पर मिलों को गन्ने की आपूर्ति नहीं करेंगे। भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) के नेता महेंद्र सिंह टिकैत और राष्ट्रीय किसान मजूदर संगठन (आरकेएमएस) के नेता वी एम सिंह की अगुआई में बरेली शहर में आज...

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केंद्र के नए कानून से गन्ने के भुगतान मूल्य को लेकर संशय

उत्तर प्रदेश में गन्ने के भुगतान मूल्य को लेकर चीनी मिलें दुविधा में फंस गई हैं। उन्हें यह साफ नहीं हो पा रहा है कि गन्ने की कीमत वे राज्य सरकार द्वारा घोषित मूल्यों के आधार पर अदा करे या फिर केंद्र सरकार के नए मूल्य का इंतजार करे। उधर किसान भी इस साल गन्ने के बदले मिलने वाली कीमत को लेकर संशय में हैं। असल में केंद्र सरकार ने गत 22...

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