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सब्सिडी : कल्याण या राजनीति? मुफ्तखोरी के दुष्चक्र में फंसता देश

ज्यादातर देशों में एक ओर जहां राजनीतिक पार्टियां चुनाव जीतने के लिए मुफ्तखोरी को हथियार बनाती हैं, वहीं इसी दुनिया में स्विटजरलैंड जैसा भी एक देश है, जहां की जनता ने सरकार की इस पेशकश को ठुकरा दिया. दूसरी तरफ भारत में देखें तो राजनीतिक पार्टियां और सरकारें मतदाताओं को लुभाने के लिए मुफ्तखोरी को बढ़ावा देनेवाली नीतियों को प्रश्रय देती रहती हैं भारत जैसे कल्याणकारी राज्य में सब्सिडी एक जरूरी...

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पेमेंट्स बैंक से पीछे हटती हस्तियां-- बिभाष

मुद्रा नीति की घोषणा के बाद पत्रकारों के प्रश्नों के जवाब में भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन ने कहा कि सिर्फ गंभीर हस्तियों/फर्मों को पेमेंट्स बैंक लाइसेंस के लिए आवेदन करना चाहिए. उनका यह बयान इस परिप्रेक्ष्य में था कि हाल ही में तीन हस्तियों ने, जिन्हें पेमेंट्स बैंक चालू करने का लाइसेंस मिला था, इस प्रकार के बैंक खोलने के अपने इरादे से पीछे हट गये.  वर्ष...

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2020 तक सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को सरकार से 1.2 लाख करोड़ रुपए की जरूरत: मूडीज

सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को अपनी बैलेंस शीट सुधारने और नुकसान की भरपाई करने के लिए 2020 तक सरकार से 1.2 लाख करोड़ रुपये की जरूरत है। यह बात शुक्रवार को मूडीज इन्वेस्टर्स सर्विस ने कही। हालांकि यह सरकार की 45,000 करोड़ रुपये की अतिरिक्‍त पूंजी डालने की योजना के मुकाबले कहीं अधिक है। मूडीज ने कहा कि बैंकों की परिसंपत्ति की गुणवत्ता अगले 12 महीने तक दबाव में रहेगी और...

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अपनी हदों में रहें तो ही बेहतर - शंकर शरण

इधर न्यायपालिका और कार्यपालिका के बीच विवाद की खबरें लगातार आ रही हैं। वित्त मंत्री ने संसद में कहा न्यायपालिका इतना हस्तक्षेप कर रही है कि लगता है कार्यपालिका के पास बजट पास करने के सिवाय कोई काम नहीं बचेगा। न्यायपालिका हर बात में घुसपैठ करती रहती है। इसके बाद रक्षा मंत्री ने कहा कि न्यायाधीशों की कई टिप्पणियां बेमतलब होती हैं। इसके बाद एक और केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी...

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छोटे व मझोले किसान अभी भी बैंक कर्ज को मोहताज

हरिकिशन शर्मा, नई दिल्ली। कृषि कर्ज का आंकड़ा भले ही साढ़े आठ लाख करोड़ के लक्ष्य को पार कर गया हो लेकिन बड़ी संख्या में छोटे और मझोले किसान अब भी बैंक से ऋण पाने को मोहताज हैं। छोटे व मझोले किसानों की आबादी वैसे तो कुल किसानों की संख्या में 85 प्रतिशत है लेकिन कर्ज में इनकी हिस्सेदारी मात्र छह प्रतिशत है। इनमें से से बहुत से किसान अब...

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