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राशन कार्डों पर अब यूनिट के हिसाब से मिलेगा चावल

रायपुर। राज्य सरकार ने छत्तीसगढ़ खाद्य सुरक्षा एवं पोषण सुरक्षा अधिनियम 2012 के तहत राशनकार्ड धारकों के राशन की पात्रता का युक्तियुक्तकरण किया है। इसके तहत अब प्राथमिकता श्रेणी के नीले राशनकार्ड धारक 44 लाख परिवारों को राशनकार्ड पर यूनिट संख्या के अनुसार प्रति यूनिट सात किलो के हिसाब से अनाज दिया जाएगा। इन परिवारों के एक करोड़ 67 लाख सदस्यों को इसका लाभ मिलेगा। इस युक्तियुक्तकरण के बाद राज्य...

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नया रायपुर के 24 गांवों की खेती की जमीन लेगी सरकार

भोलाराम सिन्हा,रायपुर। नया रायपुर के 24 गांवों के किसानों की निजी व कृषि भूमि भी लेने की तैयारी अब राज्य सरकार कर रही है। नया रायपुर विकास प्राधिकरण (एनआरडीए) के माध्यम से किसानों की जमीन की खरीदी या अधिग्रहण की कार्रवाई की जाएगी। नया रायपुर विकास प्राधिकरण द्वारा आपसी सहमति अथवा नए भू-अर्जन कानून के तहत किसानों की जमीन की खरीदी या अधिग्रहण किया जाएगा। नया रायपुर क्षेत्र में अधोसंरचना विकास...

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कैबिनेट की मंजूरी : फिर जारी होगा विवादित भूमि अध्यादेश

नयी दिल्ली : कांग्रेस समेत तमाम विपक्षी दलों के भारी विरोध के बावजूद सरकार ने विवादित भूमि अधिग्रहण अध्यादेश दोबारा लाने का फैसला किया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में मंगलवार को हुई कैबिनेट की बैठक में लोकसभा में पारित हो चुके नौ संशोधनों के साथ भूमि अधिग्रहण अध्यादेश को दोबारा लाने का फैसला किया गया है. कैबिनेट की मुहर लगने के बाद अध्यादेश को राष्ट्रपति की मंजूरी के लिए...

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अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के पक्ष में- रविभूषण

मुक्तिबोध और फैज जैसे कवियों ने जब ‘अभिव्यक्ति के खतरे उठाने' और ‘बोल कि लब आजाद हैं तेरे' का आह्वान किया था, वे राज्यसत्ता के चरित्र और उसके द्वारा समय-समय पर लगायी गयी पाबंदियों से भली भांति परिचित थे. मुक्तिबोध ने तो नहीं, पर फैज ने राज्यसत्ता के दमन को ङोला भी था. अभिव्यक्ति की आजादी पर अंकुश लगाने का काम सर्वसत्तात्मक और एकदलीय शासन प्रणाली मनमाने ढंग से करती...

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उनके हिस्से की जमीन- नीलांजन मुखोपाध्याय

इतिहास उलट कर देखें, तो जमीन झगड़ा-फसाद का एक बहुत बड़ा कारण रही है। जब जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया अस्तित्व में नहीं आई थी, और रीयल एस्टेट व छोटे प्रॉपर्टी डीलरों द्वारा जमीनों की बिक्री का चोखा धंधा नहीं पनपा था, तब जमीन सांस्कृतिक वस्तु थी और परंपरा से जुड़ी थी। बड़े शहरों में काम करने और होली-दिवाली जैसे त्योहारों पर अपने पैतृक गांवों में जाने वाले असंख्य लोग अब...

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