बिहार के गांवों में मक्के की फसल लहलहा रही है. मेरा एक मित्र विदेश में रहता है, वह इस हरियाली को देखकर अभिभूत हो गया. यह सच है कि आप यदि इस समय बिहार के गांवों में जायें, तो मक्के की खेती देखकर अापका मन भी प्रसन्न हो जायेगा. खासकर बिहार के सबसे गरीब जिले, जैसे- कटिहार, पूर्णिया, किसनगंज, अररिया, आदि में भी हाल के दिनों में मक्का रखने के...
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बीमार स्वास्थ्य तंत्र का निदान-- राजू पांडेय
विश्व स्वास्थ्य सूचकांक में भारत का स्थान 188 देशों में 143वां है। भारत स्वास्थ्य पर अपने जीडीपी का सिर्फ 1.4 प्रतिशत व्यय करता है। जबकि अमेरिका जीडीपी का 8.3 प्रतिशत, चीन 3.1 प्रतिशत और दक्षिण अफ्रीका 4.2 प्रतिशत व्यय करता है। स्वास्थ्यमंत्री फरवरी 2015 में राज्यसभा में यह स्वीकारकर चुके हैं कि देश में चौबीस लाख नर्सों और चौदह लाख डॉक्टरों की कमी है। हम प्रतिवर्ष केवल साढ़े पांच हजार...
More »स्वच्छता के नायक--- जेपी चौधरी
स्वच्छ भारत अभियान की जोरदार शुरुआत से लगा था कि देश स्वच्छ होगा। नई स्वच्छता नीति का निर्माण करते हुए सफाई के बुनियादी ढांचे में परिवर्तन होगा। सफाई कार्यों का बड़े पैमाने पर मशीनीकरण होगा और सफाई कामगारों को मैला ढोने से निजात मिलेगी। लेकिन नतीजा वही ढाक के तीन पात रहा। न तो सफाई के परंपरागत तरीकों में कोई परिवर्तन आया और न ही सफाई कामगारों को मैला ढोने...
More »आंगनबाड़ियों में नहीं मिल रहा दोपहर का भोजन, कागजों में चल रही योजनाएं
रवि श्रीवास्तव, राजगढ़। जिले में पोषाहार, स्नेह सरोकार, ममता अभियान सहित सांझा चूल्हा आदि योजनाओं के जरिए कुपोषण भगाने का ढिंढोरा पीटा जा रहा है। लेकिन कुपोषण बधाों का पीछा नहीं छोड़ रहा। महिला बाल विकास विभाग के आंकड़ों के मुताबिक जिले में 2 हजार 820 बच्चे अतिकुपोषित एवं 26 हजार 35 बच्चे कुपोषण के शिकार हैं। दोनों श्रेणियों को मिला दें तो कुल 28 हजार 855 में से 15 हजार...
More »नैनो तकनीक में निहित संभावनाएं--- विजन कुमार पांडेय
नैनो टेक्नोलॉजी तकनीक के क्षेत्र में एक क्रांति लाने वाली है। ऐसा अनुमान है कि नैनो के दम पर इस सदी के मध्य तक पूरी दुनिया का कायाकल्प हो जाएगा। अब तो बड़े से बड़े काम भी बेहद छोटे उपकरण कर देंगे। दरअसल, सूक्ष्म से सूक्ष्मतर की खोज ही नैनो टेक्नोलॉजी है। एक नैनो एक मीटर का अरबवां भाग होता है। मोटे तौर पर कहें तो मानव के बाल का...
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