पिछले कुछ सालों में मध्यप्रदेष समेत देष भर में पानी का संकट बढ़ा है। यह समस्या प्रकृति से ज्यादा मानव-निर्मित है। वर्षा की कमी के साथ, वनों की अवैध कटाई, पुराने तालाबों पर अतिक्रमण, गाद भरने से सरोवरों की भंडारण क्षमता में कमी, पानी की फिजूलखर्ची, नदी, जलाषयों का पानी औद्योगिक इकाईयों को देने व षहरों के प्रदूषित पानी को नदियों के प्रदूषण और भूजल को बेतहाषा दोहन से समस्या...
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एक लाख लोगों को दूषित पानी
शिमला. प्रदेश के करीब एक लाख लोगों को को आईपीएच विभाग ‘जहरीला’ पानी पिला रहा है। राजधानी शिमला में भी करीब ८ हजार लोग गंदा पानी पीने को मजबूर हैं। सिंचाई एवं जनस्वास्थ्य विभाग की 155 पेयजल स्कीमों में वाटर ट्रीटमेंट प्लांट नहीं है। इन पेयजल स्कीमों से करीब 350 बस्तियों को पानी की सप्लाई की जाती है। राज्य की मौजूदा कैबिनेट में तीन-तीन मंत्री देने वाले मंडी जिले में सबसे...
More »बोतल में बंद पानी- राम प्रताप गुप्ता
इस व्यवसाय में उतरी कंपनियों का सरोकार लाभ तक ही सीमित पिछले दशकों में हमारे देश में जल दोहन की जो व्यवस्था अपनाई गई, उसके परिणामस्वरूप देश के अधिकांश भागों में भूजल भंडार अतिदोहन के शिकार से अपनी क्षमता खो रहे हैं। पानी की भारी मात्रा उलीचे जाने तथा बदले में उनमें नगरों-कसबों और उद्योगों से निकलने वाले प्रदूषित और गंदा पानीमिलाए जाने से नदियों का पानी भी पीने के...
More »इस गांव में पानी है लेकिन फिर नहीं बुझ रही है प्यास
महासमुंद. पानी की समस्या से दो-चार हो रहे चकचकी गांव के लोगों को कम पानी पीने की विवशता हो गई है। तीन सौ की आबादी को पेयजल उपलब्ध कराने यहां दो हैंडपंप की व्यवस्था की गई है, लेकिन एक हैंडपंप महीनेभर से खराब है। दूसरे हैंडपंप का पानी पूरे गांव के लिए पर्याप्त नहीं हो पा रहा है। बागबाहरा ब्लाक के कसेकेरा के आश्रित मोहल्ले चकचकी में पीने के पानी की पर्याप्त व्यवस्था...
More »जल की जमींदारी- राजकुमार सोनी(तहलका)
छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर से 40 किलोमीटर दूर दुर्ग जिले के गांव महमरा के बाशिंदे आज भी इस बात को सहजता से स्वीकार नहीं कर पाते कि सदियों से उनकी जीवनरेखा रही शिवनाथ नदी पर अब उनका पहले जैसा अधिकार नहीं रहा. यहां के एक ग्रामीण साधुराम बताते हैं, 'हमें तो अब नदी की तरफ जाने में ही डर लगता है कि कोई कुछ कह न दे.' दरअसल शिवनाथ छत्तीसगढ़ की...
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