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शिक्षा में सजा नहीं, रचनात्मकता हो - अर्चना डालमिया

हमारे उपमहाद्वीप में दुनिया के लगभग 19 फीसदी बच्चे रहते हैं। देश की आबादी के एक-तिहाई से ज्यादा हिस्से की, करीब 44 करोड़ लोगों की उम्र 18 वर्ष से नीचे है। केंद्रीय महिला व बाल विकास मंत्रालय के अध्ययन के मुताबिक इस आबादी में से 40 फीसदी को देखभाल और संरक्षण की जरूरत है। इससे पता चलता है कि देश में बच्चों को किस हद तक शारीरिक दुर्व्यवहार का सामना...

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किन्नरों के लिए वेलफेयर बोर्ड

कोलकाता: किन्नरों के आर्थिक व सामाजिक विकास के लिए राज्य सरकार ने पृथक वेलफेयर बोर्ड का गठन करने का फैसला किया है. यह जानकारी मंगलवार को राज्य की महिला व समाज कल्याण मंत्री डॉ शशि पांजा ने दी. उन्होंने कहा कि उनके विभाग के अंतर्गत ही इस बोर्ड का गठन किया जायेगा. राज्य सरकार किन्नरों को समाज में उनका अधिकार दिलाने के लिए प्रतिबद्ध है, इसलिए सरकार ने यह फैसला किया...

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ज्यां द्रेज़: सामाजिक नीति का कथा पुराण

आज शायद ही किसी को वह चिट्ठी याद होगी जिसे सात अगस्त 2013 को नरेन्द्र मोदी ने तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को लिखा था. इस चिट्ठी में मोदी ने दुख जताया था कि "खाद्य सुरक्षा का अध्यादेश एक आदमी को दो जून की रोटी भी नहीं देता." खाद्य-सुरक्षा के मामले पर लोकसभा में 27 अगस्त 2013 को बहस हुई तो उसमें भी ऐसे ही मनोभावों का इज़हार हुआ. तब भारतीय जनता पार्टी के...

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वंचित भारत की कहानी- इंडिया एक्सक्लूजन रिपोर्ट की जुबानी

‘अतुल्य भारत' के भीतर एक वंचित भारत रहता है,दलित और आदिवासी समुदाय इसी वंचित भारत के वासी हैं। क्या इस वंचित भारत का निर्माण राज्यसत्ता के हाथों जीवन के लिए जरुरी बुनियादी सेवा-सामानों से लोगों को बेदखल करके हुआ है? जैसा कि नाम से ही जाहिर है,इंडिया एक्सक्लूजन रिपोर्ट 2013-14 का एक निष्कर्ष यह भी है! (कृपया देखें नीचे दिया गया रिपोर्ट की भूमिका की लिंक) मिसाल के लिए इन...

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बेदखली का शिकार ‘वंचित भारत’- चंदन श्रीवास्तव

सत्य अनुभव की चीज है, तथ्य आकलन की. तथ्य यह है कि भारत के भीतर एक वंचित भारत रहता है और सत्य यह कि इस वंचित भारत का निर्माण उसे जीवन जीने के लिए जरूरी बुनियादी सेवाओं-सुविधाओं से बेदखल करके हुआ है. बुनियादी सेवा-सुविधाओं से बेदखली के विराट आयोजन का ही नतीजा है कि इस मामले में देश के कुछ समुदाय शेष की तुलना में कोसों पीछे हैं. मिसाल के...

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