लातेहार : खाद की किल्लत और कालाबाजारी से त्रस्त किसानों ने सोमवार को एनएच 75 को आधे घंटे तक जाम रखा। थाना चौक के पास किसान जमा होकर जिला प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी कर रहे थे। थाना प्रभारी विनय कुमार सिंह ने दल बल के साथ जाम स्थल पर पहुंच कर किसानों को समझाया। बाद में किसानों को बाजारटांड़ में कूपन कटवाने को कहा गया उसके बाद कतारबद्ध होकर लैम्पस...
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सरकार ने नहीं दी सुविधा, पसीने से सींचा
गोमो : चैता पंचायत के खेराबेड़ा गांव में किसानों ने पसीना बहा कर बंजर जमीन को उपजाऊ बना दिया है. खेतों में आज सब्जियां लगी है. इन्हीं सब्जियों बाघमारा तथा गोमो की सब्जी मंडियों में बेची जा रही है. किसान रूपक महतो ने बताया कि कैलाश महतो, अर्जुन महतो, फ़ागु महतो, जानकी महतो, किशुन महतो, गंगाधर महतो, वी महतो तथा नारायण महतो मिल कर 17 एकड़ भूमि पर 2001 से सब्जी...
More »पत्रकारों के लिए इंक्लूसिव मीडिया फैलोशिप-2011
देश के ग्रामीण-संकट से संबंधित सूचना-विचार-विकल्पों के भंडारघर इंक्लूसिव मीडिया फॉर चेंज(www.im4change.org) की तरफ से साल 2011 की मीडिया फैलोशिप के लिए आवेदनपत्र आमंत्रित है।विकासशील समाज अध्ययन पीठ (सीएसडीएस) की एक परियोजना इंक्लूसिव मीडिया फॉर चेंज की यह फैलोशिप हिन्दी और अंग्रेजी भाषा के पत्रकारों के लिए है। फैलोशिप के लिए चयनित अभ्यर्थी से अपेक्षा है कि वे दो से तीन हफ्ते ग्रामीण समुदाय के बीच बितायेंगे और जिन जमीनी मसलों को...
More »गोदान : किसान की शोकगाथा--- . गोपाल प्रधान
‘गोदान’ के प्रकाशन के 75 साल पूरे हो गए हैं लेकिन भारत का देहाती जीवन आज भी लगभग उन्हीं समस्याओं और चुनौतियों से घिरा दिखता है जिनका वर्णन मुंशी प्रेमचंद के इस कालजयी उपन्यास में हुआ है. गोपाल प्रधान का आलेख सन 1935 में लिखे होने के बावजूद प्रेमचंद के उपन्यास 'गोदान' को पढ़ते हुए आज भी लगता है जैसे इसी समय के ग्रामीण जीवन की कथा सुन रहे हों....
More »अनरियल एस्टेट- हिमांशु शेखर(तहलका)
उत्तर प्रदेश के बिजनौर के रहने वाले विकास चौहान जब करीब एक दशक पहले दिल्ली आए तो उनके कई सपनों में से एक यह भी था कि देश की राजधानी में उनका एक अपना आशियाना हो. नौकरी मिली और आमदनी बढ़ने लगी तो उन्होंने अपने इस सपने को पूरा करने की कोशिश शुरू कर दी. प्रॉपर्टी की बढ़ती कीमतों की वजह से दिल्ली में तो कोई मकान उन्हें अपने बजट...
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