सिरसा, संवाद सहयोगी : नहरी पानी की कमी ने कपास की खेती करने वाले किसानों के पसीने छुड़ा दिए है। जिले के किसानों ने डीजल के ट्यूबवेलों के सहारे कपास की बिजाई तो कर ली लेकिन नहरी पानी की उपलब्धता न होने के कारण अब ये फसल जल रही है। अगर स्थिति यही रही तो कृषि विभाग द्वारा बिजाई का लक्ष्य भी ओझल हो जाएगा। पिछले एक साल से बारिश की कमी के साथ-साथ...
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रोटी को तरसते लोग, गोदामों में सड़ते अनाज
नई दिल्ली [उमा श्रीराम]। करीब 70 वर्ष पहले चर्चित कवि सुब्रमण्यम भारती ने यह कहकर हलचल मचा दी थी कि यदि दुनिया में एक भी आदमी भूखा है तो इस विश्व को ही नष्ट कर दो। भारती जी ने तभी भारत की आजादी को देख लिया था और उन्होंने आधुनिक भारत, युवा वर्ग व महिलाओं को समर्पित करते हुए कई कविताएं रच डाली थी। पर दुर्भाग्य से वे यह कल्पना भी नहीं कर सके...
More »आंकड़ों में मामूली नीचे आई खाद्य महंगाई
नई दिल्ली। खाद्यान्नों के दाम घटने से खाद्य महंगाई में नाममात्र की नरमी आई है। खाद्य उत्पादों के थोक मूल्यों पर आधारित मुद्रास्फीति की यह दर 15 मई को समाप्त सप्ताह में 0.26 फीसदी घटकर 16.23 फीसदी हो गई। हालांकि महंगे फल व सब्जियों की वजह से अभी भी यह 16 फीसदी से नीचे नहीं उतर रही है। इससे पूर्व सप्ताह में खाद्य महंगाई की दर 16.49 फीसदी पर थी। रबी की फसलों के...
More »महिलाओं ने तोड़ी रूढि़यों की जंजीरें
हल्द्वानी [नैनीताल, कमलेश पांडेय]। पहाड़ की अबलाओं ने भी रूढि़यों की जंजीरों को तोड़ मान्यताओं के दुर्गम रास्तों को पार करना सीख लिया है। विभिन्न कारणों से वैधव्य झेल रही महिलाओं ने फिर से विवाह कर न सिर्फ मान्यताओं को खारिज किया, बल्कि अन्य लोगों के लिए जीवन की नई राह बनाई। सरकार ने इन साहसी महिलाओं को प्रोत्साहन योजना से 11-11 हजार रुपये देकर पुरस्कृत किया है। अल्मोड़ा जिले की नीलिमा [काल्पनिक नाम]...
More »किसानों के मुफीद नहीं हैं फसल बीमा स्कीमें
नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। केंद्र सरकार ने मौसम आधारित फसल बीमा योजनाओं [डब्लूबीसीआईएस] को तो लागू कर दिया है, लेकिन कई खामियों की वजह से यह किसानों के लिए बहुत उपयोगी साबित नहीं हो पा रही हैं। राज्य सरकारों की उदासीनता भी कहीं न कहीं इसके लिए जिम्मेदार है। प्रमुख उद्योग चैंबर फिक्की के मुताबिक केंद्र सरकार को सबसे पहले इन स्कीमों के लिए कम से कम तीन वर्ष अवधि की रणनीति बनानी चाहिए।...
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