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अब बड़ा मसला है डाटा की सुरक्षा-- पवन दुग्गल

आधार पर सर्वोच्च न्यायालय की संविधान पीठ का फैसला उम्मीद के मुताबिक है। यह माना ही जा रहा था कि इतना आगे बढ़ जाने के बाद आधार से मुंह मोड़ा नहीं जा सकता। मगर हां, जिन शर्तों के साथ इसे कानूनी जामा पहनाया गया है, उसमें कई संदेश छिपे हैं। शीर्ष अदालत ने यह साफ कर दिया है कि कुछ सेवाओं को छोड़कर अब आधार का उपयोग अनिवार्य नहीं होगा।...

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एक अध्यापक जो समाज के लिए था- विभूति नारायण राय

महात्मा गांधी को याद करते हुए आइंस्टीन ने कहा था कि आने वाली नस्लों को यह विश्वास ही नहीं होगा कि उनके जैसा हाड़-मांस का कोई पुतला भी पृथ्वी नामक ग्रह पर कभी रहा होगा। महामानव का असाधारण होना बहुत अस्वाभाविक नहीं है, वे तो महामानव बनते ही अपने भीतर-बाहर की असाधारणता के कारण हैं। कई बार हमारा साबका किसी ऐसे साधारण मनुष्य से पड़ता है, जो अपने भीतर मनुष्य...

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संविदा कृषि व सरकार की भूमिका-- स्मृति शर्मा

यह सुनिश्चित करने के लिए कि किसानों को उनके उत्पादों की बेहतर कीमत मिले और कटनी-दौनी के बाद होनेवाले नुकसानों में कमी हो, सरकार किसानाें को कृषि उद्योगों से जोड़ने का प्रयास करती रही है. संविदा कृषि इसी दिशा में एक अच्छा कदम है. संविदा कृषि (काॅन्टैक्ट फार्मिंग) का आशय किसान तथा प्रसंस्करण या विपणन कंपनियों के बीच अग्रवर्ती व्यवस्था के तहत प्रायः पहले से तय कीमतों पर कृषि उत्पादों...

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तेजी से घटी है गरीबी मगर भारत में गरीबों की तादाद अब भी सबसे ज्यादा- एमपीआई रिपोर्ट

एक दशक के भीतर भारत में गरीबों की संख्या घटकर आधी रह गई है लेकिन अब भी दुनिया के गरीब लोगों की सबसे बड़ी तादाद भारत में मौजूद है. ये निष्कर्ष है हाल ही में जारी साल 2018 के ग्लोबल मल्टीडायमेंशनल पावर्टी इंडेक्स(एमपीआई) रिपोर्ट का.   रिपोर्ट के मुताबिक भारत में साल 2005/6 से 2015/16 के बीच भारत में गरीबी की दर 55 प्रतिशत से घटकर 28 प्रतिशत हो गई है. एक दशक...

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मनरेगा: चार सालों में रोजगार देने में त्रिपुरा सबसे अव्वल, यूपी-बिहार बहुत पीछे

यूपी-बिहार और पंजाब-हरियाणा जैसे कई राज्यों को मनरेगा के कारगर क्रियान्वयन के मामले में त्रिपुरा से सबक लेने की जरुरत है. त्रिपुरा में बीते चार सालों (2014-15 से 2017-18) में मनरेगा के अंतर्गत ग्रामीण मजदूरों को औसतन लगभग 75 दिनों का रोजगार मिला जबकि इस अवधि में योजना के अंतर्गत रोजगार का अखिल भारतीय औसत महज 45.2 दिनों का रहा.   रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया(आरबीआई) की सालाना रिपोर्ट के नये आंकड़े संकेत करते...

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