सामान्य रूप से बाहरी चमक-दमक को देखकर कह दिया जाता है कि यह क्षेत्र विकास कर रहा है। मान लीजिए किसी महानगर में बहुत सी झुग्गी-झोपडि़यों बनी हैं और महानगर में कार्य करने वाले गरीब मजदूरों को इन सस्ते आवासों में आश्रय मिला हुआ है, क्योंकि इससे महंगी जगह में रहने के लिए पैसा उनके पास नहीं है। एक दिन उनकी झोपडि़यां तोड़ दी जाती हैं। इस स्थान पर एक...
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किसानों की जमीन पर पार्क क्यों?
जयपुर। जयपुर के मास्टर प्लान-2025 पर चर्चा व सुझाव के लिए गुरुवार को जेडीए में हुई बैठक में जिले के जनप्रतिनिधियों ने प्लान के मसौदे को गंभीर गलतियों वाला दस्तावेज बताते हुए अफसरों को कोसा। जेडीए ने शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों के लिए दो अलग-अलग बैठकें की थीं, लेकिन मास्टर प्लान में जनप्रतिनिधियों की ज्यादा रुचि होने से पहली ही बैठक इतनी लंबी खिंच गई कि दूसरी बैठक के जनप्रतिनिधि भी उसी...
More »बारिश ने किया खुश, 15 प्रतिशत हुई धान की रोपाई
पटना। बिहार में इस वर्ष मानसून की अच्छी बारिश से किसानों के चेहरे पर रौनक लौट आई है। उन्हें आशा है कि इस वर्ष बारिश दगा नहीं देगी। अच्छी बारिश के कारण ही राज्य में अब तक करीब 15 फीसदी धान की रोपाई हो चुकी है। मौसम विभाग के अनुसार राज्य में इस वर्ष भरपूर बारिश होने की सम्भावना है। विभाग के एक अधिकारी के अनुसार 11 जुलाई तक राज्य में सामान्य से...
More »भू-अधिग्रहण पर जनता से राय लेगी केंद्र सरकार
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली नवनियुक्त केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री जयराम रमेश ने भूमि अधिग्रहण विधेयक के मसौदे पर सार्वजनिक बहस कराने का फैसला किया है। यही नहीं जनता की राय लेने के लिए मसौदे को अगले सप्ताह तक सार्वजनिक कर दिया जाएगा। रमेश की प्राथमिकता सूची में भूमि अधिग्रहण सबसे ऊपर है। उनका मानना है कि किसानों को उनकी भूमि का मुआवजा देने के साथ यह देखना भी जरूरी है...
More »बीड़ी पत्ते में धुआं-धुआं ज़िंदगी -- सारदा लहांगीर
“छो...छोको भूंजी लोक पतर तुड़ले लागसी भोक....” ( हम लोग गरीब भुंजिया आदिवासी, पत्ता तोड़ते हुए भूख लगती है ) नुआपाडा जिले के सीनापाली गांव में रहने वाली 55 वर्षीय पहनी मांझी को जंगल में तेदूपत्ता तोड़ते हुए जब भूख लगती है तो वो अपना ध्यान बंटाने के लिए यहीं उड़ीया लोकगीत गुनगुनाती हैं. तेंदूपत्ता अप्रैल और मई महीने की चिलचिलाती धूप में जब हम अपने वातानुकुलित कमरे में बैठे आराम फरमा...
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