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हमारी विकास नीति में उनकी जगह- सुनील

कुछ साल पहले की बात है। दिल्ली जाने पर मैं जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में अर्थशास्त्र के एक प्राध्यापक से मिलने गया था। चर्चा के दौरान मैंने कहा कि पांचवें-छठे वेतन आयोग ने प्रथम और द्वितीय श्रेणी के अफसरों-प्रोफेसरों के वेतन बहुत बढ़ाए हैं, जिससे समाज में गैरबराबरी और उपभोक्ता संस्कृति को बढ़ावा मिला है। उन्होंने तुरंत उसका बचाव करते हुए कहा कि वेतन बढ़ाना जरूरी है, नहीं तो विश्वविद्यालय में...

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परिचर्चा: विकास की अवधारणा

निमंत्रण                      परिचर्चा: विकास की अवधारणा                                 डॉ. शिवराज सिंह (योजना मंडल) और प्रो. हनुमंत यादव,                                                 चर्चा में- बी.के.मनीष के साथ.   छत्तीसगढ़ इलेक्शन वॉच की ’विधानसभा चुनाव जागरूकता कार्यक्रम श्रृंखला” की पहली कड़ी.                       सायं ४ बजे, मंगलवार, २२ अक्टूबर, प्रेस क्लब, रायपुर. धार्मिक ध्रुवीकरण तथा सामाजिक न्याय जैसे मुद्दों को पार कर के अब चुनाव विकास के मुद्दे पर लड़े जा रहे हैं। जहां राज्य और केंद्र की वर्तमान सरकारें चहुंमुखी विकास विकास के दावे करते नहीं थक रही हैं वहीं...

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विश्व बैंक ने भारत की वृद्धि दर का अनुमान घटाकर 4.7 प्रतिशत किया

नयी दिल्ली : विश्व बैंक ने मौजूदा वित्त वर्ष में भारत के लिए आर्थिक वृद्धि दर अनुमान को घटाकर 4.7 प्रतिशत कर दिया है. इससे पहले विश्व बैंक ने वृद्धि दर 6.1 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया था. विश्व बैंक के मुख्य अर्थशास्त्री (दक्षिण एशिया) मार्टिन रामा ने आज कहा, रपट (इंडिया डेवलपमेंट अपडेट) में मौजूदा वित्त वर्ष में वास्तविक जीडीपी 4.7 प्रतिशत रहने का अनुमान है जो वित्त वर्ष 2015...

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कुप्रबंध की संस्कृति- हरिवंश

देश, वाचाल वृत्ति, बौद्धिक विलासिता, पर-उपदेश वगैरह की ‘लचर जीवन संस्कृति’ से नहीं चलता. आज के भारत में सरकार, राजनीति से लेकर समाज स्तर पर यही जीवन संस्कृति है. अमर्त्य सेन जिस ‘आर्ग्यूमेंटेटिव इंडिया’ (बहस में डूबे भारत) की बात करते हैं, उसे जमीन पर देखें-समझें तो बात ज्यादा स्पष्ट और साफ होती है. मूलत: हम बातूनी लोग हैं, बिना कर्म बात-बहस करनेवाले. किसी के बारे में कुछ भी टिप्पणी....

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भूमि सुधार के बिना औद्योगिकीकरण नहीं

पटना: भारत में भूमि सुधार के बिना औद्योगिकीकरण संभव नहीं है. बिहार व उत्तरप्रदेश जैसे राज्यों में तो इसकी और आवश्यकता है. ये बातें प्रसिद्ध राजनीतिक अर्थशास्त्री अमिय कुमार बागची ने मंगलवार को अनुग्रह नारायण सिन्हा सामाजिक अध्ययन शोध संस्थान के स्थापना दिवस पर ‘द नेक्स्ट ट्रांसफॉरमेशन फॉर ह्यूमन काइंड : टूवार्डस इगेलिटेरियन एंड ग्रीन ग्रोथ’ पर आयोजित व्याख्यानमाला में कहीं. अपना प्लांट लगाने का प्रयास नहीं उन्होंने कहा कि अभी तक राज्य...

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