शिक्षा एक ऐसी गतिशील प्रक्रिया है, जिसका निर्मल प्रवाह जीवनदायिनी धारा है। जिस समाज और सभ्यता में शिक्षा के इस महत्त्व को समझ लिया जाता है, उसकी प्रगति की राह के हर प्रकार के अवरोध दूर करने के ज्ञान और कौशल से युक्त व्यक्ति सदा आगे आ जाते हैं। आज शिक्षा की अवश्यकता किसी को भी समझानी नहीं पड़ती है। सरकारी आंकड़े गवाह हैं कि संविधान के निर्देशानुसार चौदह वर्ष...
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मनरेगा की मजदूरी -- देर ना हो जाये कहीं देर ना हो जाय !
‘ मजदूरी का भुगतान ना होने और भुगतान में देरी के कारण श्रमिकों के बीच मनरेगा की साख खत्म हो गई है.' मध्यप्रदेश में मनरेगा के क्रियान्वयन की कड़वी सच्चाई बयान करने वाला यह वाक्य ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा गठित कॉमन रिव्यू मिशन(सीआरएम) की हाल ही में जारी एक समीक्षा रिपोर्ट का है.( रिपोर्ट के लिए यहां क्लिक करें) मनरेगा के असरदार क्रियान्वयन में फंड की कमी को बड़ी बाधा बताते हुए...
More »…ताकि आचमन योग्य बन सके हरियाणा में यमुना का पानी
सजला और पुण्य सलिला कही जाने वाली यमुना की दुर्दशा दिल्ली के बाद सबसे अधिक हरियाणा में ही हुई है। यमुनानगर से ही यमुना मैली होना शुरू होती है और पानीपत पहुंचते-पहुंचते इसका पानी पशुओं के पीने लायक भी नहीं रहता। यमुना को शुद्ध करने के प्रयास हुए, लेकिन ये कागजों में दबे रहे। अब नये सिरे से प्रदेश सरकार यमुना को मैला होने से रोकने का प्रयास कर रही...
More »सब्सिडी : कल्याण या राजनीति? मुफ्तखोरी के दुष्चक्र में फंसता देश
ज्यादातर देशों में एक ओर जहां राजनीतिक पार्टियां चुनाव जीतने के लिए मुफ्तखोरी को हथियार बनाती हैं, वहीं इसी दुनिया में स्विटजरलैंड जैसा भी एक देश है, जहां की जनता ने सरकार की इस पेशकश को ठुकरा दिया. दूसरी तरफ भारत में देखें तो राजनीतिक पार्टियां और सरकारें मतदाताओं को लुभाने के लिए मुफ्तखोरी को बढ़ावा देनेवाली नीतियों को प्रश्रय देती रहती हैं भारत जैसे कल्याणकारी राज्य में सब्सिडी एक जरूरी...
More »देह पर कब्जा और पुन:प्राप्ति-- सुजाता
किसी मनुष्य के व्यक्ति होने के लिए सबसे अहम बात है कि उसके देह और मन या आत्मा को दो फांक करके अलग न कर दिया जाये. देह और चित्त की एकाग्रता किसी मनुष्य को उसके अस्तित्व और गरिमा के एहसास के लिए बेहद जरूरी है. एक ऐसे मनुष्य की कल्पना कीजिए, जिसके पास एक मन है, जिसे मारते रहना है और एक देह है, जिसके बारे में हर निर्देश...
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