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ढाई लाख छात्रों की अटकी स्कॉलरशिप, रकम नहीं आई तो बंद हो गए बैंक खाते

रायपुर। स्कूली बच्चों को ऑनलाइन स्कॉलरशिप देने की योजना तकनीक में उलझ कर रह गई है। पिछले साल लोक शिक्षण संचालनालय ने ऑनलाइन स्कॉलरशिप के लिए बैंकों में खाते खुलवाए ताकि स्कॉलरशिप सीधे खाते में जमा हो, लेकिन पैसे नहीं आए। मिडिल स्कूल के ढाई लाख से अधिक एसटी/एससी बच्चों को साल 2016-17 की स्कॉलरशिप नहीं मिल पाई है। प्रदेश में प्राइमरी-मिडिल स्कूल के 28 लाख बच्चों के लिए 200 करोड़...

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भीड़तंत्र से शोरतंत्र तक-- शशि शेखर

पिछले एक हफ्ते से आप सिर्फ बिलखते लोगों की तस्वीरें देख रहे होंगे। गोरखपुर में अकाल काल के गाल में समा जाने वाले नौनिहालों के रोते-चीखते परिजन, नोएडा में जेपी, आम्रपाली सहित तमाम बिल्डर्स के शिकार मध्यवर्गीय लोग, कर्ज-माफी की घोषणा के बावजूद अपनी जान देने पर मजबूर किसान, केरल में सांप्रदायिक हिंसा के शिकार लोगों के परिजन...। क्या गुजरे 70 सालों में हमने यही कमाया है? यह गम और गुबार...

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अंधविश्वास विरोधी कानून-- सुभाष गताडे

झारखंड पिछले दिनों दो घटनाओं के चलते देश भर में सूर्खियों में रहा. पहली घटना में जहां चोटीकटवा होने के आरोप में एक गरीब महिला की लोगों ने पीट-पीट कर हत्या कर दी, तो दूसरी घटना में दुमका की एक महिला ने अपनी संतान को कुएं में फेंक दिया और अपनी चोटी खुद काट ली. ऐसी घटनाओं के लिए इन दिनों कोई राज्य, कोई इलाका अपवाद नहीं हैं. मामला महज...

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पुनर्वास पर संवेदनहीन सरकार-- हिमांशु ठक्कर

मध्य प्रदेश में सरदार सरोवर बांध के डूब वाले क्षेत्रों में प्रभावित लोगों के पुनर्वास की मांग को लेकर बीते 27 जुलाई से अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल पर बैठीं नर्मदा बचाओ आंदोलन की पैरोकार सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर को रक्षाबंधन के दिन पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया. वे मध्य प्रदेश के धार जिले के चिखल्दा गांव में अपनी मांगों को लेकर भूख हड़ताल कर रही थीं. नर्मदा नदी पर बना...

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महसूस क्यों नहीं हो रहे अच्छे दिन-- आर सुकुमार

इस समय भारत के आर्थिक माहौल के बारे में दो प्रतिस्पद्र्धी कहानियां हैं। दोनों की प्रकृति भले ही एक-दूसरे से अलग हो, लेकिन हैं दोनों सही। जेपी मॉरगन के मुख्य अर्थशास्त्री साजिद जेड चिनॉय की इन्हीं पंक्तियों के साथ आज मैं अपनी बात शुरू करना चाहता हूं। चिनॉय का यह लेख 19 जुलाई को मिंट में प्रकाशित हुआ था। शीर्षक था- इंडियन इकोनॉमी : अ टेल ऑफ टू नैरेटिव्स। जिन पाठकों...

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