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सीजेआई यौन उत्पीड़न: जस्टिस लोकुर ने कहा- संस्थागत भेदभाव हुआ, शिकायतकर्ता को मिले जांच रिपोर्ट

नई दिल्ली: सीजेआई रंजन गोगोई के ख़िलाफ़ पूर्व महिला कर्मचारी द्वारा लगाए गए यौन उत्पीड़न के आरोपों के मामले में सुप्रीम कोर्ट की शुरुआती जांच को संस्थागत भेदभाव बताते हुए सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जस्टिस मदन बी लोकुर ने कहा, ‘मेरा मानना है कि कर्मचारी के साथ न्याय नहीं हुआ है.' बता दें कि पिछले साल दिसंबर में सुप्रीम कोर्ट से रिटायर होने वाले जस्टिस मदन बी लोकुर उन चार जजों...

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गंगा में एक बूंद प्रदूषण भी चिंता का विषय है: एनजीटी

नई दिल्ली: एनजीटी प्रमुख जस्टिस आदर्श कुमार गोयल की अध्यक्षता वाली पीठ ने उत्तराखंड प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को गंगा या उसकी सहायक नदियों में गंदा पानी या औद्योगिक अपशिष्ट डालने को प्रतिबंधित करने का निर्देश दिया. पीठ ने आगाह किया कि कार्रवाई करने में विफल रहने पर नदी में अपशिष्ट या गंदा पानी छोड़ने के लिए जिम्मेदार व्यक्तियों या अधिकारियों से मुआवजा वसूला जाएगा. पीठ ने कहा, ‘यह मुआवजा नसीहत देने वाला...

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सीजेआई यौन उत्पीड़न: नौकरी से निकालने के ख़िलाफ़ शिकायतकर्ता करेंगी सीजेआई से अपील

नई दिल्ली: भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) रंजन गोगोई के खिलाफ यौन उत्पीड़न का आरोप लगाने वाली सुप्रीम कोर्ट की पूर्व कर्मचारी जल्द ही सीजेआई के सामने शीर्ष न्यायालय में अपनी बर्खास्तगी के खिलाफ अपील दायर करेंगी. हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक महिला के वकील और सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने कहा, ‘शिकायतकर्ता खुद गोगोई के पास अपील दायर करेगी. सेवा नियमों के तहत अपील करने की...

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बिहार: सुप्रीम कोर्ट का नियोजित शिक्षकों के नियमितिकरण, स्थायी शिक्षकों के समान वेतन से इनकार

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को बिहार के करीब चार लाख नियोजित (अनुबंधित) शिक्षकों की सेवाएं नियमित करने से इनकार कर दिया. साथ ही शीर्ष अदालत ने पटना उच्च न्यायालय के उस फैसले को भी दरकिनार कर दिया जिसके कहा गया था कि ये शिक्षक समान कार्य के लिए समान वेतन पाने के पात्र हैं. जस्टिस अभय मनोहर सप्रे और जस्टिस यूयू ललित की पीठ ने 31 अक्टूबर, 2017 के...

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मुस्लिम औरतों को धर्म के पिंजरे में सुरक्षित रहने की गारंटी कौन दे रहा है?-- फैयाज अहमद वजीह

औरत और आज़ादी, हमारे समाज में इन दो शब्दों का एक साथ उच्चारण गंदी, बेहूदा और बे-लगाम औरतों की कल्पना करने जैसा है. औरत का पढ़ा-लिखा, समझदार होना या विवेक-बुद्धि से काम लेने की उनकी योग्यता को मानना-पसंद करना तो अलग, उसे अक्सर गवारा करना भी गले में अटकी हुई हड्डी को निगलना है. बात वही सदियों पुरानी है कि बिस्तर की ज़ीनत हुक्म की बांदी ही भली... बराबरी और अधिकारों...

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