फिल्म प्यासा का गीत है- ‘सर जो तेरा चकराये या दिल डूबा जाये', एक जगह तनिक छेड़ के साथ पात्र कहता है कि ‘लाख दुखों की एक दवा है क्यों ना आजमाये.' ऐसी दवा साहित्य के पन्नों में मिला करती है, लेकिन लगता है अब राजनीति ने भी यह दवा खोज निकाली है. सार्वजनिक महत्व के मसले पर राजनीतिक असहमति से उपजनेवाले तमाम दुख-दर्दों से छुटकारे की इस दवा का...
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कैसे रुकेंगे ऐसे हादसे--- अमरनाथ सिंह
वाराणसी में बाबा जय गुरुदेव के अनुयायियों के एक कार्यक्रम में अचानक हुई भगदड़ ने एक बार फिर यह साबित किया है कि आज भी अपने देश में कारगर भीड़ प्रबंधन की कमी है। बात केवल वाराणसी की इस घटना की नहीं है। हर साल भीड़ के बेकाबू होने से हादसे होते हैं। हालांकि भगदड़ की घटनाएं केवल भारत में नहीं, विदेशों में भी होती हैं। लेकिन जहां विदेशों में...
More »कफन, चिता और सत्याग्रह!-- नासीरुद्दीन
रिचर्ड एटनबरॉ की फिल्म ‘गांधी' में रोंगटे खड़े कर देनेवाले दो-तीन सीन हैं. पहला, दक्षिण अफ्रीका में गांधी जी की अपील पर सत्याग्रह का पहला प्रयोग हो रहा है. अंगरेज फौजी उन्हें बेदर्दी से मारते हैं. घोड़े दौड़ाते हैं. फिर भी वे सत्याग्रह से डिगते नहीं हैं. दूसरा, जालियांवाला बाग में सभा हो रही है. हजारों लोग जमा हैं. अंगरेज फौज आती है. गोलियां चलायी जाती हैं. लोग बचने...
More »राजद्रोह के मामले बिहार और झारखंड में सबसे ज्यादा-- एनसीआरबी की नई रिपोर्ट
अलगाववादी रुझान वाले पूर्वोत्तर या जम्मू-कश्मीर में नहीं बल्कि बिहार और झारखंड में राजद्रोह की सबसे ज्यादा घटनाएं प्रकाश में आयी हैं. नेशनल क्राईम रिकार्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) विगत दो वर्षों से राजद्रोह के मामलों के बारे में आंकड़े प्रकाशित कर रहा है और ये आंकड़े बताते हैं कि अन्य राज्यों की तुलना में 2015 में राजद्रोह के सर्वाधिक घटनाएं बिहार में प्रकाश में आईं जबकि झारखंड 2014 में राजद्रोह की घटनाओं...
More »कितने दाना मांझी-- रघु ठाकुर
मध्यप्रदेश के श्योपुर जिले के आदिवासी बहुल करहल प्रखंड में कुपोषण के चलते बीते बारह सितंबर तक उन्नीस बच्चे मौत के शिकार हो चुके थे, लगभग सौ बच्चे बीमार थे, जिनमें छत्तीस बच्चे अस्पताल में भर्ती कराए गए थे। हो सकता है कि इसे बाकी खबरों की तरह एक सामान्य खबर मान कर लोग आगे बढ़ जाएं। लेकिन मेरे दिमाग में वह व्यवस्था घूम रही थी, जिसके जटिल तंत्र की...
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