रांची.झारखंड की राजधानी रांची से 25 किमी दूर कतरपा गांव। पारा 42-43 डिग्री। खेत सूख गए। कुएं का पानी भी। भरी दोपहर में सफेद साड़ी पहने 65 साल की फूलचीभी देवी अन्य महिलाओं के साथ एक निजी कुआं गहरा करने में जुटी हैं। दो जून की रोटी जो चाहिए। सरकारी योजनाओं की विफलता का जीता-जागता उदाहरण। कहती हैं अंगूठा तो कई जगह लगवाया, लेकिन आज तक पैसा नहीं मिला। कोई कह गया...
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आखिर गरीबी के मायने क्या?- हर्षमंदर
पिछले साल के अंतिम दिनों की बात है। दो युवकों ने तय किया कि वे अपने जीवन का एक माह उतने पैसों में बिताएंगे, जो एक औसत गरीब भारतीय की मासिक आय है। उनमें से एक युवक हरियाणा के एक पुलिस अधिकारी का बेटा है। उसने पेन्सिलवेनिया यूनिवर्सिटी में पढ़ाई की है और अमेरिका और सिंगापुर में बैंकर के रूप में काम कर चुका है। दूसरा युवक अपने माता-पिता के साथ...
More »विकास का शौचालय सिद्धांत- यशवंत व्यास
आत्मविकास की परंपरा में शौचालय का भारी योगदान रहा है। दिशा-मैदान की भारतीय रीति ने कई लोगों को दिमागी तौर पर परेशान किया। कहा जाता है कि गांवों में जंगल की झाड़ियों को ढूंढने और लौटते समय कुएं से दातौन चबाते हिंदुस्तानी लोग परदेसियों के लिए अजूबे थे। भूमिपुत्रों के देश में शौचालय की परंपरा का आगमन आयातित संस्कृति का प्रतीक हो सकता है, लेकिन इससे कौन इनकार करेगा कि महानगरों...
More »मृत्यु भोज में हुई शादी, बसने से पहले उजड़ गई गुड्डी की दुनिया!
बाल विवाह के दुष्परिणाम बचपन की शादी नकारने का मारवाड़ में दो माह में तीसरा मामला सामने आया है। ताजा प्रकरण सालवा कलां के राजेंद्र व गुड्डी का है। राजेंद्र ने गुड्डी के साथ हुए बालविवाह को मानने से इनकार कर दिया है। भास्कर ने सालवा कलां जाकर दोनों परिवारों की मनोस्थिति जानी। सालवा कलां से लौटकर निशी पालसिंह बचपन में गुड्डे-गुड़िया के खेल की तर्ज पर ब्याही गुड्डी का...
More »दर्जनों महिलाओं की कोख पर बेशर्म डॉक्टरों ने पोती कालिख
रायपुर. पैसों के लालच में जरूरत न होते हुए भी महिलाओं के गर्भाशय निकालने वाले डॉक्टरों की करतूत स्वास्थ्य विभाग के सामने उजागर हो गई। गुरुवार को विभाग के डॉक्टरों ने अभनपुर के मानिकचौरी, हसदा और डोंगीतराई गांवों में पीड़ित महिलाओं की जांच की। इस दौरान 25-30 साल की ऐसी कई महिलाएं मिलीं, जिनके गर्भाशय केवल पैसे कमाने के लिए निकाले गए। डॉक्टर इस बात से भी हैरान थे कि किसी भी महिला...
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