राउरकेला स्टील प्लांट की स्थापना के लिए पंडित जवाहर लाल नेहरू और जयपाल सिंह मुण्डा आए थे और गांव वालों को समझा बुझा कर विकास के नाम पर जमीन ले लिया था. आज पचास सालों के बाद विस्थापितों के हालात भिखमंगों की तरह हो गई है. उन्ही विस्थापितों में से एक हैं लुसिया तिर्की जो मंदिरा डैम से उजाड़ दी गई. उनका कहना है कि जमीन का कागज अभी तक...
More »SEARCH RESULT
सरकारी कागजों में स्लम का अकाल
अगर कोई पूछे कि मुंबई महानगर में झोपड़ बस्तियों को हटाने की दिशा में जो काम हो रहा है, उसका क्या असर पड़ा है तो इस सवाल का एक जवाब ये भी हो सकता है- आने वाले दिनों में झोपड़ बस्तियों की संख्या बढ़ सकती है. मुंबई महानगर का कानून है कि जो बस्ती लोगों के रहने लायक नहीं है, उसे स्लम घोषित किया जाए और वहां बस्ती सुधार की योजनाओं...
More »बच्चा पढ़ाना है तो पढ़ाओ, फीस इतनी ही रहेगी
जागरण प्रतिनिधि, शिमला : राजधानी शिमला सहित प्रदेशभर के निजी स्कूलों ने फीस में भारी-भरकम बढ़ोतरी कर दी है। इससे पहले बाकायदा स्कूलों की ओर से अभिभावकों के नाम एक सर्कुलर जारी किया गया। इसके अनुसार छठे वेतन आयोग की सिफारिशों का बहाना लेकर अभिभावकों से सहयोग करने की बात कही गई है। पिछले साल भी निजी स्कूलों ने भारी फीस वृद्धि की थी। अभिभावकों ने आंदोलन किया, लेकिन उन्हें दो-टूक कहा गया कि बच्चों को...
More »पत्थरों की खदानों से लौटा बचपन || बिदिसा फौजदार/शिरीष खरे ||
कभी बाल मजदूरी करने वाला महेन्द्र अब बच्चों के अधिकारों से जुड़ी कई लड़ाईयों का नायक है। महेन्द्र के कामों से जाहिर होता है कि छोटी सी उम्र में मिला एक छोटा सा मौका भी किसी बच्चे की जिंदगी को किस हद तक बदल सकता है। महेन्द्र रजक, इलाहाबाद जिले के गीन्ज गांव से है- जहां की भंयकर गरीबी अक्सर ऐसे बच्चों को पत्थरों की खदानों की तरफ धकेलती है। महेन्द्र...
More »लड़ाई लड़ेंगे नई राजधानी के किसान
रायपुर. नई राजधानी प्रभावित किसान जमीन की कीमत बढ़ाने की मांग पर अड़ गए हैं। किसान जमीन की कीमत बढ़ाने के लिए अड़े हुए हैं। उन्हें जमीन के बदले जमीन चाहिए। पिछले नौ सालों से प्रतिबंध झेल रहे किसानों को जमीन की कीमत मात्र छह लाख 58 हजार (असिंचित) और सात लाख आठ हजार रुपए (सिंचित)एकड़ की दर से भुगतान किया जा रहा है। सरकार ने मांग नहीं मानी तो किसान बड़ी लड़ाई के लिए...
More »